क़तर ने विदेशी मज़दूरों के बारे में क़ानून में परिवर्तन किया है। नए क़ानून के अनुसार विदेशी मज़ूदरों को देश छोड़ने के लिए अब कफ़ील या नियोक्ता की स्वीकृति नहीं लेनी होगी।
क़तर में श्रम सुधारों के अन्तर्गत नए न्यूनतम मज़दूरी क़ानून को भी स्वीकृति दी गई है। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि न्यूनतम मज़दूरी क्यो होगी।
ज्ञात रहे कि 2022 के फुटबाल वर्डकप की मेज़बानी मिलने के बाद से क़तर में मज़दूरों के संबन्ध में बनाए गए क़ानून, चर्चा का विषय रहे हैं। अगस्त में 5000 मज़दूरों द्वारा वेतन में विलंब के कारण हड़ताल के बाद नए क़ानून के बारे में तेज़ी से काम किया गया। प्ररदर्शनकारी मज़दूरों का कहना था कि उनको पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है और कंपनियां उनके वर्क परमिटों को रिन्यू नहीं कर रही हैं। इसी के साथ इन्हें अपना कफ़ील या नियोक्ता बदलने की भी अनुमति नहीं है। उल्लेखनीय है कि क़तर में कफ़ील सिस्टम के अन्तर्गत विदेशी मज़दूर को अपनी नौकरी बदलने से पहले नियोक्ता से अनुमति लेनी होती है। यदि वह अनुमति नहीं देता तो फिर विदेशी मज़दूर कुछ भी नहीं कर सकता। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस प्रकार के क़ानून से मज़बूत एक हिसाब से बंधुआ मज़दूर बनकर रह जाता है।