विलायत और मौलाइयत के नाम पर तौहीद को बिगाड़ने की दुश्मन कर रहा है कोशिश शिर्क करना चाहता है शामिल, अक़ाएद ,अख्लाक़ और अमली ज़िन्दगी के मज्मुए को दीन कहते हैं मुहाफिज़े दीन विलायत है ,कामयाबी चाहिये तो मोहब्बते अहलेबैत के ज़रिये दीन अपनाये ,खौफे जहन्नम व शौक़े जन्नत में नहीं -रहबरे हिन्द हुज्जातुल इस्लाम मौलाना सैयद सफ़ी हैदर

धर्म-दर्शन बाराबंकी

तहलका बाराबंकी/सैयद अली मुस्तफ़ा

बाराबंकी । कामयाबी चाहिये तो मोहब्बते अहलेबैत के ज़रिये दीन अपनाएं ,खौफे जहन्नम व शौक़े जन्नत में नहीं ! अक़ाएद ,अख्लाक़ और अमली ज़िन्दगी के मज्मुए को दीन कहते हैं मुहाफिज़े दीन विलायत है यह बात कर्बला सिविल लाइन में नौचन्दी की मजलिस को खिताब करते हुए दुनिया के सबसे बड़े इदारे तंज़ीमुल मकतिब 1200 मकतबों के बोर्ड के सेक्रेट्री रहबरे हिन्द हुज्जातुल इस्लाम सैयद सफी हैदर साहब ने कही।उन्होनें ये भी कहा कि विलायत और मौलाइयत के नाम पर तौहीद को बिगाड़ने की दुश्मन कर रहा है कोशिश शिर्क कराना चाहता है शामिल ।
लाख कोशिशों के बावजूद दुश्मन विलायत के मानने वालो को नुकसान नहीं पहुँचा पाया तो। नये हथकंडे तलाशने लगा हैखौफ़ व लालच में किसी की पैरवी करना गुमराही की अलामत है।
जो हराम हलाल में तमीज़ नहीं करते वो ज़िन्दा की शक़्ल में मुर्दा होते हैं ।
आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रो दिये।
मजलिस से पहले डा 0 रज़ा मौरान्वी ने अपना बेहतरीन कलाम पेश किया
किस तरह चूंमू तेरे परचमे पाक़ीज़ा को,
हाथ तो मेरे गुनाहों मे सने हैं अब्बास।

अजमल किन्तूरी ने अपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुए पढ़ा –जिनके सद्क़े में बनाई है खुदा ने क़ायनात,
बस यही तो है जो वजहे खिल्कते कौनैन है ।
डा 0 मुहिब रिज़वी नेअपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुये पढ़ा – तर दामने एहसास को हम करते हैं,
आंखों को तेरी प्यास से नम करते हैं।
बाक़र नक़वी ने पढ़ा –
क़तरे का नाम है न समन्दर का नाम है,
अब्बास मेरी फ़िक्र के बाहर का नाम है ।
हाजी सरवर अली कर्बलाई ने अपना कलाम पेश करते हुए पढ़ा – बैयत को मौत आ गई कर्बोबला के बाद ,
अपना यज़ीद ए वक़्त भी बिस्तर समेट ले ।
मेहदी नक़वी ने पढ़ा – तेरी तश्नालबी असगर जिगर को काट देती है ,
तबस्सुम का हुनर आखिर तुझे किसने सिखाया है ।
इसके अलावा अज़हर ज़ैदपुरी , हैदर आब्दी , आसिम नक़वी व रज़ा मेहदी ने भी नज़रानए अक़ीदत पेश किया ।
मजलिस का आगाज़ तिलावते कलाम ए पाक से हसनैन आब्दी ने किया ।
मक़मी अन्जुमनों ने नौहाखानी व सीनाज़नी की।
कर्बला कैम्पस में अलम का गश्त हुआ ।
लोगों ने ज़्यारत की और मुल्क व क़ौम के लिये दुआएं मांगी

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