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इज़राइली टेक्नोलॉजी का भारत में अंधाधुंध उपयोग,सुरक्षा संप्रभुता से समझौता?” बना चर्चा
सैयद रिजवान मुस्तफा – 9452000001srm @gmail.com
नई दिल्ली : इज़राइली रक्षा और प्रौद्योगिकी उत्पादों का भारत में बढ़ता उपयोग एक तरफ जहां देश की सुरक्षा और विकास की आड़ में इसके साथ गंभीर खतरे भी जुड़ रहे हैं। क्या इन विदेशी तकनीकों पर हमारी अत्यधिक निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए बड़ा जोखिम बन सकती है? क्या इज़राइली प्रौद्योगिकी की बढ़ती घुसपैठ हमारी साइबर सुरक्षा, खाद्य आपूर्ति, और सैन्य प्रणालियों को कमजोर कर रही है? यह लेख इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करेगा और उन चिंताओं पर रोशनी डालेगा जो भारतीय सुरक्षा तंत्र को हिला सकती हैं।
आपको बता दे इज़राइल के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 1992 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने इज़राइल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए। इससे पहले, भारत इज़राइल को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता तो दे चुका था, लेकिन अरब देशों के समर्थन और फ़िलिस्तीन के मुद्दे की वजह से राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए थे।
कांग्रेस सरकार ने 1992 में औपचारिक रूप से इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और दोनों देशों ने अपने-अपने दूतावास खोले। इसके बाद से दोनों देशों के बीच आर्थिक, सैन्य, और कूटनीतिक रिश्ते लगातार मजबूत होते गए।
हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों ने इज़राइल के साथ संबंधों को और भी प्रगाढ़ किया। खासकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद इज़राइल ने भारत का समर्थन किया। इसके बाद, रक्षा और खुफिया क्षेत्रों में सहयोग तेजी से बढ़ा।
हाल के वर्षों में, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, इज़राइल और भारत के संबंधों में और अधिक तेजी आई है। 2017 में, नरेंद्र मोदी इज़राइल की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया, विशेष रूप से रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में।
भारत में इज़राइली रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग : संभावित खतरे और चुनौतियां
भारत और इज़राइल के बीच रक्षा और तकनीकी सहयोग हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है। इज़राइल से आयातित रक्षा उत्पाद और प्रौद्योगिकियां भारत की सुरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। हालांकि, इन उत्पादों का उपयोग भारत की सैन्य और नागरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है, परंतु इसके साथ ही कुछ संभावित खतरों और चुनौतियों का सामना भी किया जा सकता है। हम भारत द्वारा इज़राइल से आयातित प्रमुख रक्षा उत्पादों और तकनीकों का विश्लेषण करेंगे और उनके संभावित खतरों का विस्तृत रूप से वर्णन करेंगे
1. ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहन (UAVs)
उदाहरण : हेरॉन (Heron) और सर्चर (Searcher) ड्रोन।
ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) इज़राइल की सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धियों में से एक हैं, जिनका भारत में सैन्य और नागरिक उपयोग दोनों किया जाता है। भारत द्वारा इनका उपयोग सीमा निगरानी, खुफिया जानकारी एकत्रित करने और अन्य रक्षा संबंधित कार्यों में किया जाता है। इज़राइल के हेरॉन और सर्चर ड्रोन अपने उच्च दक्षता और विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध हैं।
खतरा : हालांकि ये ड्रोन सैन्य दृष्टिकोण से काफी उपयोगी हैं, लेकिन यदि इनकी तकनीक गलत हाथों में चली जाती है या इसका दुरुपयोग होता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इन ड्रोन का इस्तेमाल केवल निगरानी के लिए नहीं बल्कि लक्ष्यों पर हमले के लिए भी किया जा सकता है, जो नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डाल सकता है।
2. स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM)
उदाहरण : स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM)।
स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल एक उच्च तकनीकी हथियार प्रणाली है, जिसका उपयोग भारतीय सेना द्वारा दुश्मनों के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह मिसाइल अत्यधिक सटीकता और मारक क्षमता वाली है।
खतरा: ऐसे उन्नत मिसाइलों का गलत उपयोग या सुरक्षा में कोई चूक होने पर, यह न केवल सेना के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक गंभीर खतरा बन सकता है। इसके अलावा, ऐसी तकनीकें अगर दुश्मन के हाथों में चली जाती हैं, तो इससे भारत की रक्षा तैयारियों में कमी आ सकती है।
3. रडार और निगरानी तकनीक
उदाहरण : फाल्कन एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS)।
इज़राइल द्वारा विकसित रडार और निगरानी तकनीकें भारत के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह प्रणाली दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में सहायक होती है और आवश्यकतानुसार सेना को पूर्व चेतावनी भी देती है।
खतरा : हालांकि ये तकनीकें रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग नागरिक स्वतंत्रता और निजता के हनन के लिए किया जा सकता है। इन तकनीकों के माध्यम से सरकार नागरिकों की गतिविधियों पर भी नजर रख सकती है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि कोई साइबर हमला होता है और इस तकनीक का नियंत्रण दुश्मन के हाथों में चला जाता है, तो यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
4. साइबर सुरक्षा उपकरण
उदाहरण : पेगासस स्पाइवेयर।
पेगासस एक उन्नत साइबर सुरक्षा उपकरण है, जिसे इज़राइल की एक कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। इस स्पाइवेयर का उपयोग सरकारों और अन्य एजेंसियों द्वारा जासूसी और निगरानी के लिए किया जाता है। भारत में भी पेगासस का उपयोग विवादों का कारण बन चुका है।
खतरा : इस प्रकार के उपकरणों का इस्तेमाल न केवल साइबर सुरक्षा के लिए किया जा सकता है, बल्कि राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, और अन्य लोगों की निजी जानकारी चुराने के लिए भी किया जा सकता है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा है। इसके साथ ही, अगर यह उपकरण गलत हाथों में चला जाता है, तो भारत की सुरक्षा और निजी डेटा को बड़ा नुकसान हो सकता है।
5. कृषि और जल प्रबंधन तकनीक
उदाहरण : ड्रिप सिंचाई और उच्च गुणवत्ता वाले बीज।
इज़राइल ने कृषि और जल प्रबंधन तकनीकों में अग्रणी भूमिका निभाई है, और भारत में इन तकनीकों का व्यापक उपयोग हो रहा है। विशेषकर सूखे प्रभावित क्षेत्रों में इज़राइली ड्रिप सिंचाई प्रणाली किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
खतरा : हालांकि ये तकनीकें कृषि क्षेत्र में काफी फायदेमंद हैं, लेकिन इनकी बढ़ती निर्भरता भारतीय कृषि को संकट में डाल सकती है। अगर इज़राइल से आयातित बीजों में कोई जैविक खतरा शामिल हो या तकनीकी सहयोग में कोई समस्या हो जाए, तो यह भारत की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, किसानों की इज़राइली कंपनियों पर निर्भरता बढ़ने से आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है।
6. सैन्य उपकरण और हथियार
उदाहरण : Tavor राइफल और उन्नत टैंक।
इज़राइल द्वारा विकसित सैन्य उपकरण, जैसे Tavor राइफल और उन्नत टैंक, भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन हथियारों का उपयोग भारत की सीमा सुरक्षा में किया जाता है और यह भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाते हैं।
खतरा : अगर ये हथियार गलत हाथों में पहुंच जाते हैं, या किसी आतंकवादी संगठन द्वारा हाइजैक कर लिए जाते हैं, तो इससे भारत की सुरक्षा को गंभीर नुकसान हो सकता है। साथ ही, अगर किसी प्रकार की सुरक्षा में चूक होती है, तो इन उपकरणों का उपयोग सैन्य और नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ किया जा सकता है।
7. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित रक्षा प्रणाली
उदाहरण : AI आधारित सुरक्षा प्रणाली और निगरानी तकनीक।
इज़राइल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी अग्रणी है। AI आधारित सुरक्षा और निगरानी तकनीकें भारत की सुरक्षा में मदद कर रही हैं, विशेषकर खुफिया जानकारी एकत्रित करने में।
खतरा : AI पर अत्यधिक निर्भरता से भारत को सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता में कमी हो सकती है। इसके अलावा, अगर AI आधारित तकनीकों का दुरुपयोग होता है, तो यह निजता और नागरिक अधिकारों के लिए भी खतरा बन सकता है।
8. एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम
उदाहरण: इज़राइल का आयरन डोम (Iron Dome)।
आयरन डोम एक उन्नत एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो दुश्मन के मिसाइल हमलों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत इस प्रणाली का उपयोग अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए कर रहा है।
खतरा : इस तरह की प्रणाली पर अत्यधिक निर्भरता से भारत को अपनी सुरक्षा को लेकर आत्मनिर्भरता की कमी महसूस हो सकती है। अगर इज़राइल या उसकी तकनीक से भारत को समय पर समर्थन नहीं मिला, तो यह भारत की सुरक्षा कमजोर कर सकता है।
9. खाद्य पदार्थ और कृषि उत्पाद
उदाहरण : इज़राइली तकनीक आधारित उन्नत बीज और कृषि उत्पाद।
भारत में इज़राइली कृषि प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, खासकर उच्च गुणवत्ता वाले बीज और जल प्रबंधन प्रणाली में। इन तकनीकों ने भारतीय किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने और जल की खपत कम करने में मदद की है। विशेष रूप से सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में, इज़राइली ड्रिप सिंचाई प्रणाली ने खेती को आसान और अधिक उत्पादक बनाया है।
खतरा : विदेशी बीज और कृषि तकनीकों पर अत्यधिक निर्भरता भारत की पारंपरिक कृषि प्रणालियों को कमजोर कर सकती है। अगर बीजों में कोई जैविक खतरा या आनुवांशिक रूप से संशोधित तत्व शामिल होते हैं, तो यह देश की जैव विविधता और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त, इन बीजों पर किसानों की निर्भरता बढ़ने से आर्थिक अस्थिरता का खतरा भी पैदा हो सकता है, क्योंकि इनकी कीमतें वैश्विक बाजार पर निर्भर होती हैं।
10. दवाओं और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां
उदाहरण: इज़राइली चिकित्सा उपकरण और फार्मास्युटिकल उत्पाद।
भारत में इज़राइल से आयातित कई उन्नत चिकित्सा उपकरणों का उपयोग होता है, जैसे कि जीवन रक्षक उपकरण, डायग्नोस्टिक तकनीक, और चिकित्सा अनुसंधान से जुड़े फार्मास्युटिकल उत्पाद। इज़राइली तकनीक पर आधारित चिकित्सा उपकरण, जैसे कि टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी, भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। इनसे जटिल सर्जरी और उपचार के लिए एक नई संभावना उभरी है, जो भारत के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर रही है।
खतरा: हालांकि ये प्रौद्योगिकियां स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार ला रही हैं, लेकिन इनके अत्यधिक उपयोग से कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, अगर चिकित्सा उपकरण और दवाओं का आयात बाधित होता है या कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता पैदा हो सकती है। इसके अलावा, अगर इज़राइल से आयातित दवाओं और उपकरणों की गुणवत्ता या सुरक्षा मानकों में कमी होती है, तो यह स्वास्थ्य आपदा का कारण बन सकता है। जैविक हथियारों और फार्मास्युटिकल साइबर अटैक का भी खतरा हो सकता है।
11. जल प्रबंधन और सिंचाई प्रणाली
उदाहरण: ड्रिप और माइक्रो सिंचाई तकनीकें।
इज़राइल ने जल प्रबंधन और सिंचाई तकनीक में अत्यधिक प्रगति की है, जिसका भारत में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। इज़राइली ड्रिप सिंचाई प्रणाली ने कम जल में अधिक उत्पादन की संभावना को वास्तविकता में बदल दिया है। यह विशेष रूप से भारत के उन क्षेत्रों में फायदेमंद है जहां जल संकट की स्थिति होती है।
खतरा : इज़राइली जल प्रबंधन तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता के चलते भारत की जल सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर इज़राइल से आयातित तकनीक और उपकरणों की उपलब्धता में कोई बाधा आती है, तो इसका सीधा प्रभाव भारत के कृषि उत्पादन पर पड़ सकता है। इसके अलावा, इन प्रौद्योगिकियों का संचालन और रखरखाव महंगा हो सकता है, जिससे छोटे किसानों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
12. पर्यावरणीय प्रभाव और संसाधनों की सुरक्षा
इज़राइली तकनीकें, चाहे वे रक्षा से जुड़ी हों या कृषि और स्वास्थ्य से, भारत के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर भी प्रभाव डाल सकती हैं। उदाहरण के लिए, अत्यधिक उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, और जल स्रोतों पर भी दबाव बढ़ सकता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकटों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि इन प्रौद्योगिकियों का सतत उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
13. साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के खतरे
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, इज़राइल से आयातित साइबर सुरक्षा उपकरण और निगरानी प्रणाली जैसे पेगासस ने भारत में राजनीतिक और नागरिक स्वतंत्रता को लेकर विवाद उत्पन्न किया है। अगर इन उपकरणों का उपयोग नागरिकों की निगरानी या राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किया जाता है, तो यह लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। इसके अतिरिक्त, साइबर हमलों और डेटा चोरी की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
खतरा : अगर इज़राइली साइबर तकनीक का उपयोग गलत उद्देश्यों के लिए होता है, तो इससे व्यक्तिगत गोपनीयता और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। इसके साथ ही, सरकारी और संवेदनशील डेटा की सुरक्षा पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत और इज़राइल के बीच रक्षा और तकनीकी सहयोग ने भारत की सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, और जल प्रबंधन में सुधार किया है। हालांकि, इन प्रौद्योगिकियों पर अत्यधिक निर्भरता से कई प्रकार के खतरे भी उत्पन्न होते हैं।
इज़राइली तकनीक का भारत में बढ़ता उपयोग एक दोधारी तलवार की तरह है। जहां यह देश को आधुनिक सुरक्षा और विकास के नए आयाम प्रदान करती है, वहीं इसके अतिरेक और निर्भरता से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। सरकार और संबंधित संस्थाओं को इस दिशा में सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता न करें। आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी तकनीकें हमारी नीतियों और सुरक्षा प्रणालियों पर हावी न हो जाएं, और देश की डिजिटल और साइबर सुरक्षा को कोई आंच न पहुंचे।