कनाडा में इस्लामोफोबिया का शिकार परिवार का भारत से था खास रिश्ता,देश के मशहूर शायर रहे बाराबंकी के शौक किदवई की पोती,और इंडिया के आईएएस रहे खलील ताहिर किदवई की बेटी कनाडा की नागरिकता ले चुकी तलत अफ़ज़ाल के बेटे बहु और पोती को एक ट्रक ड्राइवर ने जानबूझकर मुस्लिम होने की वजह से रौंद कर डाला मार,पूरी दुनिया मे निंदा,नगराम और बाराबंकी में भी सदमा

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तहलका टुडे इन्टर नेशनल डेस्क/रिज़वान मुस्तफ़ा

नई दिल्ली-अपनी बहुसांस्‍कृतिक विरासत के लिए चर्चित कनाडा में पैदल जा रहे मुस्लिम परिवार के पांच लोगों को एक व्यक्ति ने अपने ट्रक से टक्कर मार दी। घटना में परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गयी और एक का अस्पताल में इलाज चल रहा है। कनाडा की पुलिस ने सोमवार को इस बारे में बताया। आरोप है कि ट्रक चालक ने परिवार को मुस्लिम होने के कारण निशाना बनाया।

घटना रविवार शाम में हुई। ओंटारियो में पुलिस ने बताया कि पीड़ितों में मृतकों की पहचान कनाडाई नागरिक सलमान अफजल (46), उनकी पत्नी मदीहा (44), उनकी बेटी यूमना (15) और 74 वर्षीया दादी तलत अफ़ज़ाल के तौर पर हुई।अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चे का नाम फैयाज बताया गया है।नौ साल का बच्चा गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।
इस संबंध में आरोपी को गिरफ्तार किया गया है और उस पर चार लोगों की हत्या का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि संदिग्ध नाथानील वेल्टमैन (20) ओंटारियो में लंदन का रहने वाला है

पुलिस ने बताया कि वाहन ने एक मोड़ पर पीड़ितों को रौंद दिया। पुलिस ने बताया कि संदिग्ध को पास के एक मॉल के पार्किंग क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
लंदन पुलिस के प्रमुख स्टीफन विलियम्स ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि पीड़ितों को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे मुस्लिम हैं। किसी भी समुदाय को नफरत की भावना से निशाना बनाया जाये तो समुदाय विशेषकर मुस्लिमों में डर और घबराहट पैदा हो सकती है।’

कनाडा में मुस्लिम परिवार को जानबूझकर कुचलकर मार देने पर दुनियाभर में जमकर गुस्‍सा देखा जा रहा है। इस खौफनाक घटना में 4 लोगों की मौत हो गई है और एक शख्‍स अभी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना की निंदा करते हुए कहा क‍ि इससे पता चलता है कि पश्चिमी देशों में इस्‍लामोफोबिया बढ़ता जा रहा है।
मुस्लिम परिवार की हत्‍या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भी इस्‍लामोफोबिया को लेकर निशाने पर आ गए हैं।

 

‘इस्लाम के खिलाफ घृणा को रोकने के लिए खड़े हों’

घटना के शिकार लोगों के परिजन ने एक बयान जारी कर इस बारे में बताया और कहा कि लोगों को नस्ली नफरत और इस्लाम के खिलाफ घृणा को रोकने के लिए खड़ा होना चाहिए।

बयान में कहा गया, ‘जो लोग भी सलमान और उनके परिवार को जानते थे उन्हें पता था कि वे बहुत अच्छे मुस्लिम थे। परिवार के लोग अपने-अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रहे थे। उनके बच्चे भी अपने स्कूल में पढ़ाई में अच्छा कर रहे थे।’ घटना के बाद पुलिस ने वारदात स्थल की घेराबंदी कर दी और अन्य सबूत जुटाए जा रहे हैं। पुलिस प्रमुख स्टीफन विलियम्स ने कहा, ‘हमारा मानना है कि मुस्लिम होने के कारण परिवार को निशाना बनाया गया।’

कनाडाई पीएम इस्‍लामोफोबिया को लेकर लोगों के निशाने पर आए
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने ट्वीट करके कहा कि मैंने इस घृणा से भरे और जघन्‍य हमले के बारे में लंदन के मेयर से बात की है। मैंने उन्‍हें बताया है कि हम इस्‍लामोफोबिया के खिलाफ जंग के लिए प्रत्‍येक साधन का इस्‍तेमाल जारी रखेंगे। मैं देशभर के मुस्लिमों से कहना चाहता हूं कि हम आपके साथ खड़े हैं। हमारे किसी समाज में इस्‍लामोफोबिया के लिए कोई जगह नहीं है। यह घृणा घातक है और घिनौनी है। यह निश्चित रूप से बंद होनी चाहिए।

इस ट्वीट के बाद अब कनाडाई पीएम इस्‍लामोफोबिया को लेकर लोगों के निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्‍तानी पत्रकार हामिद मीर ने कहा, ‘मिस्‍टर ट्रूडो आपने कनाडा में आतंकवाद के शिकार निर्दोष पीड़‍ितों का नाम तक नहीं लिया। वे इसलिए मारे गए क्‍योंकि वे मुस्लिम थे। इस्‍लामोफोबिया का जिक्र करने के लिए धन्‍यवाद। यह कनाडा में एक आतंकी हमला था। यह एक हेट क्राइम था।’

कनाडा में इस हादसे का शिकार तलत अफ़ज़ल के पर दादा शौक़ क़िदवाई की पैदाइश 1852 में जुग्गौर बाराबंकी में हुई थी,कम उम्र में ही उनके वालिद का इन्तेक़ाल हो गया था, इसलिए अपने रिश्तेदारों के साथ अलग-अलग जगहों पर उनकी परवरिश हुई. अठारह साल की उम्र में लखनऊ लौट आये. शौक़ ने अरबी फ़ारसी की पारम्परिक शिक्षा प्राप्त की. लखनऊ के अदबी और शेरी माहौल के असर ने शौक़ को भी शायरी की तरफ़ उन्मुख कर दिया और वह कई क्लासिकी विधाओं में शेर कहने लगे.
मुंशी मुहम्मद अली खां असीर के शागिर्द हुए.

कुछ अर्से तक फैज़ाबाद में तहसीलदार रहे लेकिन सवभाव के अनुकूल न होने की वजह से इस्तिफ़ा दे दिया और लखनऊ से अख़बार ‘आज़ादी’ जारी किया. उसके बाद रियासत भोपाल में नौकरी कर ली और व्यवस्थापक के पद तक पहुँच कर सेवानिवृत हुए. अंतिम समय में पुस्तकालय रामपुर से सम्बद्ध हो गये.
शौक़ शायरी के अलावा अदबी, सांस्कृतिक,सामाजिक और राजनैतिक समस्याओँ पर बहुत से आलेख भी लिखे और ड्रामे भी. शौक़ अपने वक़्त में कई स्तर पर सक्रिय रहे,उनकी हैसियत एक सामाजिक कार्यकर्ता की भी थी, 27 अप्रैल 1925 को शौक़ का देहांत हुआ.इनकी आज भी किताबे  NCRT के कोर्स में शामिल है।
इनके पोते और तलत अफ़ज़ल के वालिद ख़लील ताहिर किदवई इंडिया में आईएएस थे मुल्क के बंटवारे के बाद ये पाकिस्तान चले गये वहा फेडरेल के सेक्रेट्री और कई विभागों के चेयरमैन रहे,
बाद में तलत अफ़ज़ल अपने परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट हो गईं और वहा की नागरिकता ले ली।

उनकी बेटी डॉ आयशा नगराम के सादात घराने के शौकत रिज़वी साहब की बहू है यह परिवार भी कनाडा की नागरिकता ले चुका है।

 

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