इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ को आज इस सवाल का जवाब देना होगा कि मादक पदार्थों के विरुद्ध युद्ध में प्रतिरोध के बावजूद इस्लामी गणतंत्र ईरान को अत्याचारपूर्ण और ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों का सामना क्यों करना पड़ रहा है?
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित दुनिया में 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गये और कई टन मादक पदार्थ और नशीली दवाओं को आग लगाई गयी।
संयुक्त राष्ट्र संघ के नशा निरोधक विभाग ने इस अवसर पर मादक पदार्थ के विरुद्ध संघर्ष करने पर ईरान सहित कई देशों की सराहना करते हुएकहा कि हम इस अंतर्राष्ट्रीय समस्या से निपटने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
इसी मध्य इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने रविवार को नशा निरोधक दिवस के मौक़े पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस अभिशाप से लड़ने में ईरान के संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई भी देश अकेला मादक पदार्थों से संघर्ष नहीं कर सकता और इस बारे में सारे देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और संगठनों को अपनी भूमिका अदा करनी होगी।
राष्ट्रपति सैयद रईसी ने कहा कि मादक पदार्थों के ख़िलाफ़ जंग में विश्व समुदाय की ओर से ईरान के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उनका विश्वास है कि दुनिया के दूसरे देश और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं अपने दावों और ज़िम्मेदारियों के अनुसार अपनी भूमिका अदान नहीं करतीं। उन्हों कहा कि मादक पदार्थो से लड़ने में ईरान की ज़बानी तारीफ़ इस अभिशाप को जड़ से उखाड़ने के लिए काफ़ी है?
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मादक पदार्थों से संघर्ष के लिए विभिन्न देशों की ओर से शंघाई समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हम देखते है कि यह वस्तु इन्टरनेट पर दूसरी चीज़ों के मुक़ाबले में बहुत आसानी से मिल जाती है।
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की खेती में वृद्धि का कारण बनने वाले नैटो और अमरीका की कार्यवाहियों का ब्योरा देते हुए कहा कि दो दशकों के अफ़ग़ानिस्तान पर अवैध क़ब्ज़े के दौरान मादक पदार्थों के उत्पादों में वृद्धि हुई है और उसने औद्योग रूप धारण कर लिया है, इसका एक कारण यह है कि विश्व समुदाय अमरीका और नैटो से जवाब मांगने के अपने क़ानूनी, नैतिक और इंसानी अधिकारों पर अमल नहीं करता।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि मादक पदार्थों के विरुद्ध युद्ध में सारी प्रभावी ईरानी कार्यवाहियां, अमरीका के अत्याचारपूर्ण प्रतिबंधों के दौर में की गयी हैं, हमें प्रतिबंधों की वजह से मादक पदार्थों से संघर्ष में बहुत सारे हथियार और टेक्नालाजी तक पहुंच नहीं है।
नशीली वस्तुओं और पदार्थों के निवारण हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 7 दिसम्बर, 1987 को प्रस्ताव संख्या 42/112 पारित कर हर वर्ष 26 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस’ मानाने का निर्णय लिया था। यह एक तरफ़ लोगों में चेतना फैलाता है, वहीं दूसरी ओर नशे के लती लोगों के उपचार की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।
अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के अवसर पर मादक पदार्थ एवं अपराध से मुक़ाबले के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का कार्यालय यूएनओडीसी एक नारा देता है। इस अवसर पर मादक पदार्थों से मुक़ाबले के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाये गये क़दमों तथा इस मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों और उनके निवारण का उल्लेख किया जाता है। ’26 जून’ का दिन मादक पदार्थों से मुक़ाबले का प्रतीक बन गया है। इस अवसर पर मादक पदार्थों के उत्पादन, तस्करी एवं सेवन के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराया जाता है।