मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में पूरे प्रदेश में
हजरत अली अ. की शहादत 21 रमजान पर निकला अली अली हाय अली की सदाओ के साथ जुलूस,उमड़ा जन सैलाब
रोते रहे मातम करते रहे अजादार,लाखो अकीदतमंन्दो ने ताबूत से किए अपने सर मस,
फिरकपरस्त ताकतों के मुंह पर पड़ा तमाचा,तालिबानियों समेत दुश्मनाने अली में हड़कंप,
देखिए नज़फ इराक और भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का मंजर
तहलका टुडे टीम
लखनऊ.देश में जगह जगह शोभा यात्रा के नाम पर दंगे चल रहे है वही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार के कड़क कानून व्यवस्था का नजारा पूरे प्रदेश में देखने को मिला, भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथरीटी आफताबे शरीयत मौलाना कल्बे जवाद नकवी से जो मुख्यमंत्री ने कहा वो कर दिखाया ,पूरे प्रदेश में आज शनिवार को 21वीं रमजान का जुलूस गमजदा माहौल में अकीदत और एहतराम के साथ निकला। जुलूस में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। गमगीन माहौल में सभी लखनऊ में रौजा-ए शबी नजफ से कर्बला तालकटोरा पहुंचे। रास्ते में याली मौला और हैदर मौला की सदाओं से माहौल गमगीन हो उठा। अकीदतमंद अमीरउल मोमनीन हजरत अली अलैहिस्सलाम के ताबूत को आगे बढ़चढ़ कर बोसा दे रहे थे।अपने सरो को ताबूत से मस कर रहे थे इस जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।जिसकी कमान खुद अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार संभाले हुए है।
हजरत अली की शहादत का जुलूस मौलाना रज़ा हैदर जैदी द्वारा मजलिस के बाद शहर के मातमी अंजुमन नौहाख्वानी और सीनाजनी कर रात भर शब्बेदारी के साथ निकला, इनमें पुरूषों के साथ महिलाओं की भारी तादाद थी। लोगों ने बताया कि ऐसा महसूस हुआ कि 21वीं रमजान सन 40 हिजरी में इराक स्थित मस्जिदे कूफे में पहुंच गए हैं। यह शबीह ताबूत न होकर हजरत अली अलैहिस्सलाम का जनाजा है।
घर की छतों से भी लोग कर रहे थे जियारत
जुलूस के दौरान हर तरफ गमगीन अकीदतमंद क़मा (तलवार) का मातम और जंजीर से खुद को पीटते हुए जा रहे थे, ताकि उस समय हुई दर्द को महसूस कर सकें। इसमें क़मा से सिर पर वार किया जाता है। कुछ लोग जंजीरों से पीठ पर वार कर खुद को लहूलुहान कर रहे थे। जुलूस जहां से निकल रहा था, लोग अपने घरों की छत से भी जियारत कर रहे थे।
महिलाएं सौंपती हैं ताबूत
उन्नीस रमजान की सुबह से पुरुषों के दर्शन करने की व्यवस्था रहती है। 20 रमजान को 11 बजे से सिर्फ महिलाओं के दर्शन करने का इंतजाम किया जाता है, जो 21 रमजान की सुबह तक जारी रहता है। इसके बाद यहां अलविदाई मजलिस होती है, फिर महिलाएं ताबूत को रौजे से निकाल कर पुरुषों के सुपुर्द कर देती हैं। यह ताबूत जुलूस की शक्ल में विभिन्न रास्तों से गुजरता हुआ कर्बला तालकटोरा जाता है। वहां इसे बड़ी अकीदत के साथ दफन किया जाता है।
Najaf इराक में अकीदतमंदों का समूह का एक मंजर कुछ फोटो में