इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर काज़ेमैन में श्रद्धालुओं का मजमा,भारत समेत दुनिया के कई मुल्कों में मजलिसे,आयतुल्लाह ख़ुमैनी के बाराबंकी के किन्तुर और तारीखी कस्बे लखनऊ के नगराम,बिजनौर समेत सैकैडो शहरों कस्बो और गाँव मे नवहा मातम

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इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर काज़ेमैन में श्रद्धालुओं का मजमा,भारत समेत दुनिया के कई मुल्कों में मजलिसे,आयतुल्लाह ख़ुमैनी के बाराबंकी के किन्तुर और तारीखी कस्बे लखनऊ के नगराम,बिजनौर समेत सैकैडो शहरों कस्बो और गाँव मे नवहा मातम

तहलका टुडे टीम

लखनऊ:इमाम मूसा काज़िम (अ) का शहादत दिवस पर आज भारत और इराक़ सहित दुनिया के विभिन्न देशों में पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।बीती रात से मजलिसों मातमो का सिलसिला जारी है।भारत मे आयतुल्लाह ख़ुमैनी के बाराबंकी के किन्तुर और तारीखी कस्बे लखनऊ के नगराम बिजनौर समेत सैकैडो शहरों कस्बो और गाँव मे नवहा मातम हो रहा है।

हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के अवसर पर ईरान और इराक़ सहित दुनिया के अनेक देशों में श्रद्धालु हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत का पुरसा आठवें इमाम हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम को पेश कर रहे हैं।

इसी अवसर पर इस समय पवित्र नगर इराक़ के काज़ेमैन शहर में लाखों श्रद्धालू मौजूद हैं,वही भारत की सरज़मी लखनऊ के काज़मैन में मातम कर रहे हैं और नौहा पढ़ रहे हैं और दुख में आंसू बहा रहे हैं।

एक शहर जो इमाम के नाम पाकर पवित्र हो गया। काज़ेमैन एक छोटा सा शहर जो बग़दाद के उत्तरी उपनगरीय भाग में है। इमाम मूसा काज़िम और इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिमुस्सलाम से निसबत पाकर विश्व विख्यात हो गया। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर इस शहर में हर तरफ़ ग़म है बेताबी है।

इसी की शबीह लखनऊ में भी बनी है।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को अत्याचारी ख़लीफ़ा ने बहुत छोटी जेल में वर्षों बंद रखा और आपका अधिकतर जीवन जेल में ही व्यतीत हुआ।

अब्बासी खलीफा हारुन ने जो कि नहीं चाहता था कि जनता इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के ज्ञाान और उनकी शिक्षाओं से लाभ उठा सके 25 रजब 183 हिजरी कमरी को एक साजिश रच कर आपको कैदखाने में ज़हर देकर शहीद कर दिया शहादत के समय आपकी उम्र केवल 35 साल थी।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम, इस्लाम के एक महान व्यक्तित्व और शियों के छठें इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के बेटे थे जिन्होंने अपने पिता से शिक्षा और प्रशीक्षण प्राप्त किया।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम 35 साल तक मुसलमानों के इमाम रहे और इस दौरान अधिकतर क़ैदख़ानो में रहे जिससे पता चलता है कि उन के समय में अब्बासी शासकों का पैग़्मबरे इस्लाम के परिजनों के बारे में रवैया बहुत ही अत्याचारपूर्ण था लेकिन इसके बावजूद इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने सच्चाई और सत्य की ओर लोगों के मार्गदर्शन का क्रम जारी रखा।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने मुसलमानों को सामाजिक व राजनीतिक तौर पर जागरूक करने की कोशिश की और उन्हें अब्बासी शासकों के भ्रष्टाचार से अवगत कराया। वह बनी अब्बास के शासकों के कार्यों और उनके तरीक़े को इस्लाम के विरुद्ध समझते थे।

ज़ियारत के लिए आए श्रद्धालु भाव में डूबकर कहते हैं कि काज़ेमैन हमारे लिए पवित्र है। यह इतिहास के अहम दौर का आईना है। इमामों की क़ब्रों की वजह से इस शहर की पवित्रता बढ़ी। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के दिन का शोक श्रद्धालु बड़े पैमाने पर मनाते हैं। लोग दूर दूर से पैदल चलकर ज़ियारत के लिए पहुंचते हैं….

तहलका टुडे अपने श्रोताओ और पाठको की सेवा में हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के अवसर पर संवेदना प्रस्तुत करता है।

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