पाटेश्वरी प्रसाद
हेमंत शर्मा, जो कि आम भाषा में गंभीर समस्याओं को बड़ी आसानी से लिख देने की कला में माहिर हैं। उन्होंने अयोध्या आंदोलन से जुड़े गंभीर विषयों पर कई पुस्तकों का लेखन किया। हाल ही में उनकी लिखी किताब “राम फिर लौटे” एक बार फिर सुर्खियों में है। यह किताब भी उनकी सरल, सहज लेखनी और तथ्यों की प्रामाणिकता को परिभाषित करती है।
“राम फिर लौटे” आठ अध्याय में बंटी 304 पृष्ठ का इतिहास है, जिसे उन्होनें एक किताब में समाहित किया है। यह किताब भगवान श्रीराम और उनकी अयोध्या से जुड़े उन मूल्यों पर भी विचार रखती है, जिसके कारण राम एक बार फिर जन चेतना के नाभिकीय केंद्र बने हुए हैं। छोटे छोटे आठ अध्यायों के जरिए यह किताब हमें सनातन संस्कृति से जोड़ती है। साथ ही अयोध्या जैसे गंभीर विषय पर सोचने और समझने को विवश करती हैं l
शुरुआत उन्होंने नाम के मुताबिक ही राम से जुड़े हर पहलुओं को बड़ी खूबसूरती से पन्नों में उकेरा है, जिसे पढ़ कर लगता है कि ये हम से ही होकर गुजरा है। चीजों को बारीकी से देखना और उसे खूबसूरत शब्दों में पिरो देने में माहिर होने के चलते ही हेमंत जी के खुद के बड़ी संख्या में पाठक है। भगवान राम से जुड़े अयोध्या आंदोलन पर कई पुस्तकें आई, लेकिन “राम फिर लौटे” एक तथ्यपरक और अद्भुत किताब है। जिसने भी यह पुस्तक पढ़ी होगी, वह अयोध्या आंदोलन के उन पहलुओं को जीवनभर नही भूल पाएगा, जो इतिहास के कालचक्र में कहीं खो गए थे। यह किताब पीढ़ियाँ पढ़ेंगी, और बताएंगी कि राम का हमारे जीवन आदर्श पुरुष रहे है। कैसे शताब्दियों के आंदोलन ने हेमंत जी को झकझोरा और उन्हें यह प्रमाणिक किताब लिखने के लिए प्रेरित किया।
किताब की क़ीमत आवरण की तस्वीर के सामने कुछ नही ठहरती, जबकि किताब ऐसी तस्वीरों से भरी पड़ी है। जिन्हें भी थोड़ी दिलचस्पी हो, वह इसे खरीद लें क्योंकि ऐसी किताबें सदी में एक आध आती हैं। जैसे “युद्ध में अयोध्या” और “अयोध्या का चश्मदीद” अयोध्या आंदोलन से जुड़ी हेमंत शर्मा जी की दो ऐतिहासिक किताब रही है। हेमंत जी आपको क्या कहें, आपकी एक किताब पढ़ी थी,”तमाशा मेरे आगे” और उसके बाद आपकी लिखी किताबों का मुरीद हो गया। आप द्वारा लिखित सभी किताबें मेरी जिंदगी में सबसे अनमोल हैं।
राम के प्रति उनके जुनून को भी यह किताब दर्ज करती चलती है, जिसे पढ़ा नही महसूस किया जा सकता है। हम लोग तो पहले से उनकी लिखावट के मुरीद रहे हैं, यह किताब, इसका रिसर्च और उनकी लगन अतुलनीय है। अनमोल है। ऐसी किताबों के लिए जेब नही जज़्बात देखे जाते हैं। कुल मिलाकर ये युवाओं से बुजुर्गों तक सभी वर्गों और धर्मों के पढ़ने लायक किताब है। इस किताब के प्रकाशक भाई प्रभात कुमार को बधाई साथ ही बिना कहे किताब के लेखक हेमंत शर्मा जी को साधुवाद।
यह किताब अमेज़न से पुस्तक मंगाने का लिंक है- Ram Phir Laute “राम फिर लौटे” Book In Hindi
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