गाँधीवादी पण्डित राजनाथ शर्मा ने जैसे ही नेहरु की शेरवानी और टोपी का किया इस्तेमाल दुबई के शाही खानदान के शेख ने दिया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड,पढिये पूरी दास्तान

उत्तर प्रदेश ज़रा हटके देश बाराबंकी

बाराबंकी। ‘अंदाज़ ए बयां और’ के बैनर तले दुबई के शेख राशिद ऑडिटोरियम में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरा के जलसे में समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

यह अवार्ड दुबई के प्रसिद्ध शाही खानदान से संबंध रखने वाले व्यवसायी सुहैल मोहम्मद अल-ज़रूनी ने दिया। यह पहला ऐसा मौका था जब किसी गैर मुस्लिम भारतीय को अवार्ड से सम्मानित किया गया।
डा. राममनोहर लोहिया से राजनीति का ककहरा सीखने वाले राजनाथ शर्मा भारत पाकिस्तान बांग्लादेश के महासंघ की मुहीम को पहली बार पाकिस्तान और बांग्लादेश की आवाम के बीच ले गए थे। जिस मुहीम की शुरूआत 1965 में हुई, जिसके प्ररेणास्रोत डा. लोहिया थे। जिन्होने भारत पाकिस्तान को एक करने के लिए ‘महासंघ’ बनाने की बात कही थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुबई के अरब व्यापारी सुहैल मोहम्मद अल-ज़रूनी ने बताया कि उनका भारत से गहरा लगाव है। वह भारत की प्राचीन सभ्यता से प्रभावित है। उनके पिता और दादा भी हिंदी व उर्दू भाषा के कायल थे। श्री ज़रूनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी काफी प्रभावित है। वह दुबई में हिन्दी और उर्दू साहित्य को बढ़ावा देने के लिए दिलचस्पी रखते है। सुहैल मोहम्मद अल-जरूनी का सम्बन्ध प्रसिद्ध अरब व्यवसायी परिवार अल-जरूनी से है, जो दुबई के शाही खानदान के है।
इस दौरान मशहूर शायर मुनव्वर राना एवं कवि डा. कुमार विश्वास ने जनपद के समाजसेवी एवं शिक्षा जगत से जुड़े मोहम्मद अहमद शहंशाह एवं बड़ागांव सीएचसी प्रभारी डा. इरम युनूस को भी अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। वहीं कार्यक्रम के आयोजक जनपद की समाजिक हस्तियां रेहान सिद्दीकी, आफताब अनवर अलवी, उर्फी किदवई, शाजिया किदवई जो पिछले एक दशक से दुबई में हिन्दी और उर्दू भाषा से लोगों को जोड़ने के लिए कवि सम्मेलन एवं मुशायरा आयोजित करते है। जिसकी सराहना दुनियाभर में होती है। जिनका प्रयास आज भी कारगर है। जिन्हें गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा शाल ओढाकर सम्मानित किया गया।
विदित हो कि दुबई में वर्ष 2009 से ‘अंदाज-ए-बयां और’ एक सालाना जलसे का आयोजन करती है। जिस जलसे ने कवि सम्मेलन एवं मुशायरा को नई बुलंदियों तक पहुंचाया है। जो गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यह कार्यक्रम दुबई में रह रहे भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के लोगों को उर्दू और हिन्दी जुबान से जोड़ती है। जो अपनी भाषा, संस्कृति, संस्कार एवं साहित्य के लिए जानी जाती है। दुनिया का यह पहला ऐसा साहित्यिक कार्यक्रम होता है जिसमें लोगों का मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि शायरों और कवियों को अन्तरराष्ट्रीय मंच से ऊँचाईयों तक पहुंचाया होता है।
इस मौके पर पत्रकार तारिक किदवई, अली उवैद ‘शाजी’, पाटेश्वरी प्रसाद, अजय वर्मा ‘अज्जी’ दुबई में मौजूद रहे।

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