महात्मा गांधी की 76वी पुण्य तिथि पर मुसलमानों की एहसान फरामोशी की चर्चा

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गांधी की 76वी पुण्य तिथि पर मुसलमानों की एहसान फरामोशी की चर्चा

देश के जाने माने पत्रकार राहुल देव ने कहा-
गांधी मुसलमानों की वजह से मरे, मुसलमानों के लिए मरे, ना कि हिन्दूओं के लिए मरे। लेकिन दुःख है कि गांधी की इस बात को उन्होंने कबूल नहीं किया और उनकी शहादत को नहीं समझा,

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों का प्रमुख आधार सत्य और अहिंसा है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराया।

तहलका टुडे टीम

बाराबंकी। गांधी को गोडसे ने इसलिए मारा क्योंकि वह मुसलमानों की बहुत पैरवी करते थे। वह उनकी बात करते थे। असल बात यह थी कि गांधी मुसलमानों की वजह से मरे, मुसलमानों के लिए मरे, ना कि हिन्दूओं के लिए मरे। लेकिन दुःख है कि गांधी की इस बात को उन्होंने कबूल नहीं किया और उनकी शहादत को नहीं समझा। जिनके लिए गांधी मरे। यह कड़वा सच है। यह बात गांधी भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कही।

मंगलवार को आजादी के नायक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए 11 बजे सभी ने एक मिनट मौन रहकर उनको श्रद्धांजलि भी दी। इसके उपरान्त मुख्य अतिथि राहुल देव, वरिष्ठ पत्रकार शीतल सिंह, पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार सिंह ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा की अध्यक्षता पूर्व विधायक सरवर अली ने की।

श्री राहुल देव ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि समाज में हिन्दू साम्प्रदायिकता है साथ ही मुस्लिम साम्प्रदायिकता भी है। समाज में आज नहीं सदियों से यह साम्प्रदायिकता बनी हुई है। इसे स्वीकारना पड़ेगा। एक तरफा बात नहीं होनी चाहिए। दिक्कतें दोनों जगह है। ऐसे में हमें साझा रास्ता निकालना पड़ेगा। तब गांधी हमें याद आएंगे।

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों का प्रमुख आधार सत्य और अहिंसा है। जिसे उन्होंने देश और दुनिया के सामने रखा। जिसे दुनिया अजूबे की तरह देखती है। गांधी जी पूरे जीवन सत्य और अहिंसा का प्रयोग करते रहे और इसी प्रयोग में उन्होंने अपनी जान दे दी। वह कभी सत्य से विचलित नहीं होते थे। अगर एक समझौता हो गया कि बंटवारे में भारत पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपए देगा। तो पूरी नेहरू सरकार के विरोध के बाद भी वह झूठ से कहां वास्ता कर सकते थे। वैसे ही कितना मुश्किल है अहिंसक होना। गांधी जी ने हिंसायुक्त बंगाल और नोआखाली में लोगों के बीच जाकर अहिंसा का पाठ पढ़ाया। जो कारगर साबित हुआ। हमें गांधी जी के उन्हीं विचारों को आत्मसात करना है जो उनके जीवन का मूलमंत्र था।

गांधीवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कहा कि भारत एक ऐसा देश बने जिसमें गांधी दर्शन के साथ-साथ लोगों में आपसी भाईचारा और सौहार्द कायम हो। आपसी भाईचारा से ही देश चलता है। गांधी हमारे बीच अभी भी जिन्दा हैं और वो हमेशा जिन्दा रहेंगे। आज के दिन उनके शरीर की हत्या हुई थी लेकिन गांधी विचारों की हत्या कोई नहीं कर सकता। वह हमेशा जिन्दा रहेंगे।

पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराया। हमें गांधी जी के किसी के विचार को पढ़कर उसे आत्मसात करना चाहिए। ताकि हम अपने देश का भविष्य संवार सके।
वहीं मंगलवार की शाम आलापुर स्थित रेठ नदी पर शाम को 5 बजकर 17 मिनट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्पांजलि देकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और फिर दीपदान किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अप्रवासी भारतीय जिया चौधरी, समाजसेवी मो उमैर किदवाई, विनय कुमार सिंह, अताउर्रहमान ‘सज्जन’, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सभासद अश्वनी शर्मा, मो. फैसल, मो आरिफ, मो इरफान, सोनू यादव, प्रदीप मौर्या, सलाउद्दीन किदवई, अशोक शुक्ला, हुमायूं नईम खान, साकेत संत मौर्य, सत्यवान वर्मा, सईद अहमद, फहीम सिद्दीकी, वरिष्ठ पत्रकार तारिक खान, पत्रकार सतीश श्रीवास्तव, संतोष शुक्ला, विजय कुमार सिंह, वीरेन्द्र मौर्या, जाहिद हुसैन, राजेश यादव, तौसीफ अहमद आदि नगर के कई संभ्रान्त नागरिक, अधिवक्ता, समाजसेवी व पत्रकार मौजूद रहेंगे।

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