तहलका टुडे टीम
लखनऊ मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ कि जीरो टॉलरेंस नीति के चलते उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के पूर्व सदस्य और करबला मीर ख़ुदा बख़्श तालकटोरा के पूर्व मुतवल्ली सैयद फ़ैज़ी को बोर्ड में मिली भ्रष्टाचार कि शिकायतों के बाद जाँच के उपरांत मुतवल्ली पद से बर्खास्त कर दिया गया था, और उत्तर प्रदेश शासन ने उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी थी।
बोर्ड आदेश के विरुद्ध सैयद फ़ैज़ी ने वक्फ़ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर के बोर्ड आदेश को स्टे करने की अपील की थी जिसको वक़्फ़ ट्रिब्यूनल ने ख़ारिज कर दिया था।
वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के आदेश के विरुद्ध सैयद फ़ैज़ी ने माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर कर के यह कहा था की ट्रिब्यूनल का फ़ैसला ग़लत है जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने वक़्फ़ ट्रिब्यूनल को दोबारा से उनकी बात सुनकर 8 हफ़्तों के अंदर अंतिम निर्णय लेने को आदेशित किया था।
माननीय वक़्फ़ ट्रिब्यूनल ने उनके वकीलों से चली लंबी बहस के बाद दिनाक 25-04-2023 को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्त बोर्ड के पूर्व के आदेश को सही मानते हुवें उनको किसी तरह की रिलीफ देने से इनकार कर दिया।
बताते चले ग़रीबों को मकान देने की आड़ में 20-30 करोड़ की अनुमानित धन राशि की अवैध उगाही कर अपने निजी स्वार्थ में ग़बन करने का गंभीर आरोप है। सैयद फ़ैज़ी के ऊपर करबला की ज़मीन का ग़लत इस्तेमाल कर अपना निजी मकान ऑफिस और अपने पैसे वाले सभी रिश्तेदारों को बोर्ड की बिना अनुमति के मकान बनवा कर दे दिये।
चेयरमैन अली ज़ैदी के ऊपर कई तरह का नाजायज़ दबाव बनाया गया और बाक़ायदा तौर पर धमकी भी दिलायी गई और उनकी छवि को धूमिल करने की नाकाम कोशिशों के बाद भी चेयरमैन ने बोर्ड की कार्यवाही ऐसे भ्रष्ट मुतवल्लियों के ख़िलाफ़ जारी है।
उनका कहना है की प्रदेश के यशस्वी मुख्य मंत्री के आदेश अनुसार धार्मिक कार्यों के लिए वक्फ़ की गई संपत्तियों को ऐसे भ्रष्ट और भू माफिया प्रवति के लोगों के क़ब्ज़े से छुड़ाया जाना अति आवश्यक है और चेयरमैन मुख्य मंत्री जी के जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहे है।
बोर्ड ने इस मामले में अल्पसंख्यक विभाग से शासन के ज़रिये उच्च स्तरीय जाँच की माँग भी की है और किसी स्वतंत्र जाँचे एजेंसी से जाँच कराने को लिखा जा चुका है। उम्मीद है सैयद फ़ैज़ी से इस पैसे का जल्द हिसाब होगा और वें सलाख़ों के पीछे होंगे।