वाशिंगटन : दुनिया भर में लगभग 1.5 करोड़ लोग सालाना स्ट्रोक का शिकार होते हैं। डिमेंशिया से पांच करोड़ लोग पीड़ित हैं, यह संख्या अगले 20 साल में लगभग दोगुना होने की उम्मीद है। स्ट्रोक का सामना कर चुके मरीजों में डिमेंशिया होने की आशंका ज्यादा रहती है।
एक्सेटर मेडिकल स्कूल के नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना हैं कि स्ट्रोक या सेरेब्रोवास्कुलर एक्सीडेंट (सीवीए) की वजह से दिमाग में अचानक खून की कमी या दिमाग के भीतर रक्तस्राव होता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल फंक्शन की हानि होती है।
स्ट्रोक दुनिया भर में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है, क्योंकि पिछले कुछ दशकों में भारत में इसका बोझ खतरनाक दर से बढ़ रहा है। इस स्थिति को हल करने की तत्काल आवश्यकता है और यह केवल सभी जनसांख्यिकीय समूहों के बीच अधिक प्रभावी सार्वजनिक शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है।
स्ट्रोक के लिए मोटापा, धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, शराब की लत, डायबिटीज और पारिवारिक इतिहास कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। स्ट्रोक के कुछ चेतावनी संकेतों में बांह, हाथ या पैर में कमजोरी शामिल होती है।
शरीर के एक तरफ धुंधलापन, नजर में एकाएक कमजोरी, खासकर एक आंख में, बोलने में अचानक कठिनाई, समझने में असमर्थता, चक्कर आना या संतुलन का नुकसान और अचानक से भारी सिरदर्द आदि होता है।