बेंगलुरु । कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धरमैया की लेटर पॉलिटिक्स आजकल वहां के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी है। इन चिट्ठियों के कारण सीएम कुमारस्वामी का पारा चढ़ा हुआ है। कर्नाटक में जेडी (एस) और कांग्रेस की दोस्ती में फूल कम कांटे ही ज्यादा दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले सीएम कुमारस्वामी ने कार्यकर्ताओं के सामने रोकर अपना हाल-ए-दिल बयां किया था।
अब सिद्धा की चिट्ठियां कुमारस्वामी के पिता और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के पूर्व सीएम धरम सिंह के खिलाफ लेटर वॉर की याद दिला रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जबसे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक में कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री बने हैं, सिद्धारमैया उन्हें और उनके मंत्रियों को अब तक 9 पत्र भेज चुके हैं। इनमें से ज्यादातर उनके निर्वाचन क्षेत्र बादामी से जुड़े मुद्दों की शिकायतें हैं। अपने हालिया पत्र में उन्होंने ईधन के टैक्स का दाम बढ़ाने और पीडीएस- बीपीएल परिवारों के तहत बंटने वाले चावल की मात्रा को घटाने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है।
इस वजह से पिछले कुछ दिनों से कुमारस्वामी की झल्लाहट देखी जा सकती है। पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में गठबंधन सरकार की तकलीफों को बयां करते हुए वह सार्वजनिक प्लैटफॉर्म पर भावुक भी हो गए थे। कई लोग इसे सिद्धारमैया का सुर्खियों में बने रहने के अलावा कुमारस्वामी को खिझाने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम मान रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि कुछ इसी तरह की रणनीति एचडी देवगौड़ा ने पूर्व मुख्यमंत्री एन धरम सिंह के खिलाफ अपनाई थी। उस दौर में यानी 2004 में राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-जेडी (एस) की गठबंधन वाली सरकार बनी थी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक ने बताया कि जब एन धरम सिंह गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे,
उस समय देवगौड़ा जब-तब छोटे-छोटे मुद्दों पर उन्हें पत्र लिखते थे। उन्होंने आगे बताया कि इसी के साथ देवगौड़ा यह भी सुनिश्चित करते थे कि मीडिया को भी इनकी भनक लगती रहे। अब सिद्धारमैया इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। समन्वय समिति के मुखिया के रूप में सिद्धारमैया मुद्दों को चारदीवारी के अंदर भी सुलझा सकते हैं लेकिन उनका लगातार चिट्ठियां भेजना समस्याओं का हल ढूंढने के बजाय समस्याओं को और बढ़ाने जैसा मालूम हो रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक हरीश रामास्वामी मानते हैं कि सिद्धारमैया की यह ‘पत्रनीति’ कुछ और नहीं बल्कि गठबंधन की सरकार में खुद का दबदबा बनाए रखने की कोशिश है। जेडी (एस) के नेता रामास्वामी ने कहा कि सिद्धारमैया डरे हुए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कुमारस्वामी के पास एक विजन है और उनकी जनता तक पहुंच है इसलिए कहीं उनका राजनीति में करियर फीका न पड़ जाए इसलिए वह लेटर पॉलिटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जहां तक सिद्धारमैया की बात है, वह इस योग्य नहीं है कि सरकार को अस्थिर कर सकें क्योंकि इसकी कमान पार्टी आलाकमान के पास है इसलिए वह तरह का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। एक अन्य कांग्रेस विधायक ने कहा कि पार्टी के हाई कमान को मामले में दखल देकर सिद्धारमैया को पत्रनीति खत्म करने को कहना चाहिए वरना इससे दूसरे नेताओं को भी इसी तरह का व्यवहार करने का प्रोत्साहन मिलेगा।