Cm योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल करने का लखनऊ में प्रयास,पाकिस्तान से नफरत करने वाले हिंदुस्तान के वफादार और मोहब्बत कर हमेशा कुर्बान रहने वाले मुसलमानो के खिलाफ चलाया गया कमर तोड़ अभियान, मक्कार भरष्टाचारी अधिकारियो ने फिर लगवाया CAA प्रदर्शनकारियों के पोस्टर,HC भी जता चुका है जिस पर एतराज़  

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तहलका टुडे टीम

लखनऊ-यूपी सरकार के कुछ भरष्टचार में लिप्त मक्कार अधिकारियो का काकस हाथरस मामले में फँसी गर्दन से मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का ज़ेहन भटकाने और उनके खिलाफ नफरत को उभारने सरकार को बदनाम करने के लिए आजकल प्रदेश में काफी एक्टिव है,
भाजपा के अगले प्रधानमंत्री में अक्सर योगी आदित्यनाथ का नाम भी ज़ोरो पर रहता है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा इनको स्टार प्रचारक बना कर प्रदेशो में प्रमोट भी कर रही है।लेकिन कुछ लोग खासकर यूपी के कुछ भरष्ट और मक्कार अधिकारी ऐसी ऐसी हरकतें कर रहे है जिससे मुख्यमंत्री की ईमानदार और दबंग छवि को विवादस्पद और साम्प्रदायिकता के कांटे डालकर उनकी दौड़ को रोकने का प्रयास कर रहे है।

मिसाल है बाराबंकी में जिलाधिकारी आदर्श कुमार की नाक के नीचे खुलेआम भूमाफिया ग्राम समाज,नजूल,वक़्फो की ज़मीन पर अवैध निर्माण करा रहे है,शिकायत के बाद बड़ी रकम लेकर लीपा पोती आम बात है। खूब अवैध निर्माण 143 की परमिशन यहाँ आम बात है।ये सारा खेल SDM अभय पांडेय जो अपने आपको गोरखपुर का बताता है के जरिये अंजाम दी जा रही है,
यही नही इनकी बेईमानी मक्कारी की ed और इनकम टैक्स जांच कर ले तो इनके परिवार के लोग 2 वर्षो में करोड़ो की संपत्ति के मालिक बन गये है।

वही लखनऊ में जिलाधिकारी रजिस्ट्री दाखिल खारिज नक्शा पास बिल्डिंगों को अवैध कहकर बुलडोज़र से गिरवा रहे है।
और मुसलमानों पर डंडा चलाने के नाम पर वाह वाही लूटने और फरमाबरदारी दिखाने की तमन्ना में ये नही देखते तमाम खरीदार और इन्वेस्ट करने वाले हिन्दू है।
जिसको सबसे ज़्यादा नुकसान पहुच रहा है।

इस तरह पूरे प्रदेश में नौकर शाहों के बेलगाम कॉकस में ईमानदार और ज़िम्मेदार अधिकारियों ने किनारा कर लिया या खामोशी अख्तियार कर ली है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बार फिर नगरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोधियों के पोस्टर जारी किये हैं, सीएए के विरुद्ध बीते साल हुए प्रदर्शन में शामिल 8 प्रदर्शनकारियों पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उनको भगोड़ा घोषित कर दिया गया है, पुलिस द्वारा घोषणा की गई है इन प्रदर्शनकारियों की सूचना देने वाले को 5 हजार रुपये का इनाम भी दिया जायेगा. ये तब है जब पोस्टर लगाने पर हाईकोर्ट आपत्ति जता चुका है और सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है.

पुलिस द्वारा राजधानी लखनऊ के थानों और सार्वजनिक स्थलों पर इन प्रदर्शनकारियों की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए गये हैं. इन पोस्टर पर प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों के साथ उनका पता भी लिखा गया है. इसके अलावा पोस्टर पर लिखा गया है की इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को 5 हजार नगद का ईनाम दिया जाएगा.

पोस्टर पर पुलिस अधिकारियों के नंबर भी हैं, जिनपर इसकी जानकारी दी जा सकती है. पुलिस द्वारा दो अलग-अलग पोस्टर जारी किये गए हैं. एक में वह प्रदर्शनकारी हैं, जिन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है, दूसरे में वह प्रदर्शनकारी हैं, जो फरार तो हैं, लेकिन उन पर गैंगस्टर एक्ट नहीं लगा है.
जिन 8 प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें प्रशासन द्वारा सार्वजनिक की गई है उन पर गैंगस्टर का मामला दर्ज है उन में मोहम्मद अलाम, मोहम्मद तहिर, रिजवान, नायब उर्फ रफत अली, अहसन, इरशाद, हसन और इरशाद शामिल हैं, इन सभी पर थाना ठाकुरगंज में मुकदमा दर्ज है.

दूसरे पोस्टर में पूरे हिंदुस्तान की मोअज़िज़ शख्सियत जिनकी हर शरीफ और नेक इंसान इज़्ज़त करता है मुस्लिम धर्मगुरु ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ मौलाना क़ल्बे सादिक साहब के बेटे,बेहद शरीफ और नेक कल्बे सिब्तैन “नूरी”,
मालूम हो की डॉ कल्बे सादिक आज कल काफी बीमार है ।
वही आयतुल्लाह सादिक शिराज़ी के हिंदुस्तान के वकील औए चाँद कमेटी के चेयरमैन मौलाना सैफ अब्बास नक़वी , के अलावा इस्लाम, जमाल, आसिफ, तौकीर उर्फ तौहीद, मानू, शकील, नीलू, हलीम, काशिफ और सलीम चौधरी के नाम शामिल है. पुलिस के मुताबिक यह प्रदर्शनकारी पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए के विरुद्ध हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल थे और हिंसा भड़का रहे थे.

सहायक पुलिस आयुक्त आईपी सिंह के मुताबिक पोस्टर उन सभी जगहों पर लगाए गए हैं, जहां इन अभियुक्त प्रदर्शनकारियों के छुपे होने की संभावना है, उन्होंने बताया की जिन लोगों की तस्वीरें पोस्टर पर हैं, वह पिछले साल दिसंबर से फरार हैं.
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में लखनऊ में सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई थी और सार्वजनिक और निजी सांपत्ति का काफी नुकसान हुआ था. यह हिंसा उस समय भड़की थी जब पुलिस प्रदर्शनकारियों को उनके इलाके से निकलकर प्रदर्शन स्थल ‘परिवर्तन चैाक“ से रोक रही थी, इसके बाद प्रदर्शन स्थल पर भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें और हिंसा हुई थी.
हिंसा के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अलग -अलग थानों में मुकदमे दर्ज हुए, इसके अलावा बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल भी भेजा गया. प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान के मुआवजे के लिए योगी आदित्यनाथ ने उस समय भी प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों की होर्डिंग लगवा दी थी, जिस पर काफी विवाद हुआ और प्रदर्शनकारियों ने उनकी निजी जानकारी सार्वजनिक करने पर आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि सरकार ने उनकी जान को खतरे में डाल दिया है.
इसके अलावा कोर्ट ने भी पोस्टर लगाने पर अपनी नाराजगी जताई और होर्डिंग हटाने को कहा था, लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. मामला अभी अदालत में विचाराधीन है.

समाजिक कार्यकर्ता राजीव यादव का कहना है की, योगी सरकार मूल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए कभी सीएए विरोधियों की होर्डिंग लगवाती है और कभी लव जिहाद जैसे साम्प्रदायिक मुद्दे उठती है.
राजीव यादव का कहना है कि जिनको पुलिस अपराधी और भगोड़ा बता रही है, दरअसल वह आंदोलनकारी हैं,जो संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर आये थे. वह आगे कहते हैं कि आंदोलनकारी को अपराधी बनाकर सरकार ब्रिटिश राज्य के पदचिन्हों पर चल रही है.
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों को सार्वजनिक करने से उनकी जान को खतरा हो सकता है, इसके अलावा यह नागरिकों का मौलिक अधिकारों का हनन भी है.

कानून के जानकर मानते हैं कि यह प्रशासन द्वारा जल्दी में उठाया गया कदम है. वकील जिया जिलानी कहते हैं की सीएए विरोधी प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों की होर्डिंग लगाने का मामला अभी कोर्च में विचाराधीन है. इसके अलवा अभी जांच भी पुरी नहीं हुई है. इस लिए प्रशासन को कोई भी कदम उठने से पहले गहन विचार करना चाहिए है.
जिया जिलानी के मुताबिक किसी को भगोड़ा तब तक नहीं घोषित किया जा सकता, जब तक कोर्ट उनको मुजरिम घोषित नहीं कर देती है. इसलिए यह कानून के प्राकृतिक सिद्धांतों के भी विपरीत है और निजता के अधिकारों का हनन भी है.

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