नई दिल्ली । पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी (AAP) को क्रॉस वोटिंग की बदौलत जीत दर्ज करने की आस थी, वहीं उनके अपनों ने ही क्रॉस वोटिंग कर दी। AAP को क्रॉस वोटिंग की वजह से एक पार्षद का कम वोट मिला है। हालांकि बसपा के एक पार्षद की बात मानी जाए तो AAP के दो पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है।
शुक्रवार को पूर्वी निगम के सदन में तीन सदस्यों का चुनाव हुआ। भाजपा के तीन प्रत्याशियों के अलावा आप की एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में थीं। वोटिंग में भाजपा को तीन पार्षदों का अतिरिक्त वोट मिला और आप को एक पार्षद ने वोट ही नहीं दिया।
कांग्रेस व बसपा पर लगाया आरोप
चुनाव में हार का ठीकरा नेता प्रतिपक्ष अब्दुल रहमान ने कांग्रेस व बसपा पर फोड़ा। उनका कहना था कि कांग्रेस ने वोट न करके भाजपा का साथ दिया। उन्होंने कहा कि सोची-समझी साजिश के तहत कांग्रेस के तीनों सदस्य वोट डालने नहीं आए और बसपा ने भाजपा को समर्थन दे दिया, जबकि कांग्रेस और बसपा दोनों ने ही उन्हें वोट देने का आश्वासन दिया था।
आप बेशक हार का ठीकरा बसपा व कांग्रेस पर फोड़ रही हो, लेकिन वह अपनी ही पार्टी के एक पार्षद का वोट नहीं बचा सकी। हालांकि इस मामले को लेकर विपक्ष लीपापोती कर रहा है। रहमान कहते हैं कि उनके पार्षद नए हैं। इस वजह से किसी से गलती हो गई होगी, लेकिन वे यह भूल रहे हैं इस बार कुछ पार्षदों को छोड़ दें तो सभी नए हैं।
अब तक तो सभी को यही पता है कि बसपा के दोनों पार्षदों जुगनू और शकीला बेगम ने भाजपा को वोट दिए हैं, लेकिन शकीला कहती हैं कि उन्होंने आप की मोहिनी को वोट दिया था। अगर इनकी बात सही मानी जाए तो इसका सीधा अर्थ है कि आप के दो पार्षद टूटे हैं। हालांकि शुक्रवार को शकीला सत्ता पक्ष की ओर ही बैठी थीं, इस पर वे कहती हैं कि बैठने से क्या होता है।
कांग्रेस ने आरोपों को नकारा
निगम में कांग्रेस की नेता कुमारी रिंकू कहती हैं कि मैंने आप से कोई वादा नहीं किया था। उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी तो मैंने कहा था कि वे लड़ें। उनकी पार्टी ने फैसला उनके ऊपर छोड़ा था। तीनों पार्षदों की बैठक में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि उनके लिए भाजपा व आप एक जैसी हैं। इस वजह से किसी को भी वोट नहीं देने का फैसला लिया गया था।
AAP ने खेला दलित कार्ड पर सफल नहीं हुए
आप ने दलित पार्षद मोहिनी जीनवाल को चुनाव मैदान में उतारा था, जिससे कि उन्हें दलित पार्षदों का वोट मिल जाएगा। इसी वजह से जीनवाल कहती हैं कि कुमारी रिंकू ने दलित होकर भी उन्हें वोट नहीं दिया। इस पर रिंकू कहती हैं कि इस मामले को आप गलत तरीके से पेश कर रही हैं। यह किसी एक व्यक्ति का फैसला नहीं था, बल्कि सामूहिक था। बसपा पार्षद जुगनू कहती हैं कि आप ने उनसे वोट के लिए संपर्क ही नहीं किया था। एक प्रत्याशी सत्यपाल सिंह उनके रिश्ते में भाई हैं और उनका बराबर फोन आ रहा था इस वजह से उन्हें वोट दिया।