इस्लामाबाद । पाकिस्तान का अगला रक्षा मंत्री कौन होगा, इस पर कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच ख़बर है कि इस्लामाबाद की जानी-मानी स्कॉलर शिरीन मज़ारी को प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान अपने रक्षा मंत्री के रूप में चुन सकते हैं। शिरीन मज़ारी वही महिला हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान को भारत की घनी आबादी वाले क्षेत्रों पर परमाणु हमले करने चाहिए।
‘द डिफेंस जरनल’ में अक्टूबर 1999 में छपे शिरीन मज़ारी के लेख में उन्होंने लिखा था कि दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान को काउंटर वैल्यू यानी उनके शहरों और औद्योगिक केंद्रों पर ही फोकस करना चाहिए।
परमाणु युद्ध सिद्धांत के मुताबिक काउंटर-वैल्यू टार्गेट्स का मतलब दुश्मन की वह संपत्ति जो उसके लिए काफी मूल्यवान हैं, लेकिन जिससे कोई सैन्य ख़तरा नहीं है, जैसे शहर और आबादी वाले क्षेत्र
काउंटर-फोर्स का मतलब सैन्य अड्डों को निशाना बनाना है। शिरीन मज़ारी ने ‘द डिफेंस जरनल’ के अप्रैल 1999 में लिखे लेख में इस बात को और विस्तार समझाया था कि काउंटर-वैल्यू टार्गेट का मतलब नई दिल्ली, मुंबई और उनकी जद में आने वाले भारत के सारे परमाणु प्रतिष्ठान को निशाना बनाना चाहिए। भारत के परमाणु प्रतिष्ठान आबादी वाले इलाकों के करीब स्थित हैं। ऐसे में इनपर हमला करके ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकेगा।
बता दें कि दोनों देशों ने 31 दिसंबर 1988 को एक समझौता किया था जिसके तहत दोनो के बीच समझौता हुआ था कि वे एक दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाएंगे। 27 जनवरी 1991 को इस समझौते के लागू होने के बाद से इस्लामाबाद और नई दिल्ली ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची एक दूसरे से साझा की है। शिरीन मज़ारी के रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री के तौर पर नियुक्ति को लेकर चल रही ख़बरों से भारत के विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि अमेरिका भी चिंतित है।
मज़ारी ने लिखा कि वह अमृतसर, पंजाब के सिख समुदाय और पश्चिम बंगाल को निशाना बनाने के खिलाफ हैं।
उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि वह क्यों सिख समुदाय को निशाना नहीं बनाना चाहतीं, लेकिन पश्चिम बंगाल को निशाना नहीं बनाने के पीछे उनका तर्क है कि ऐसा करके पाकिस्तान, बांग्लादेश को ये संदेशा पहुंचाना चाहेगा कि परमाणु हमले करवाकर उनका देश बांग्लादेश सीमा पर रह रहे उनकी जनता को ख़तरे में नहीं डालेगा।
वैसे बता दें कि आईएसआई का लंबे समय से खालिस्तानी आतंकियों से सांठगांठ रही है। पाकिस्तानी विश्लेषकों का मानना है कि शिरीन मज़ारी के विचारों से प्रेरित होकर ही पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ 1999 में कारगिल युद्ध छेड़ा था।
कश्मीर में उठते विवाद के बीच शिरीन मज़ारी के पाकिस्तान में बढ़ते कद से भारत में चिंता बढ़ना लाज़मी है। माज़री का मानना है कि पहले ही लिख चुकी हैं कि भारत ने केवल राजनीतिक तौर पर ही कश्मीर को नहीं खोया है, बल्कि सैन्य तौर पर भी कश्मीर पर उसकी पकड़ कमज़ोर होती जा रही है।