यूएई,दुबई भेजना सामान हुआ फ़्री, भारत और UAE के बीच में शुरू हुआ समझौता 1 मई से चालू

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भारतीय वस्तुएं अब बिना शुल्क के यूएई में जाने लगी हैं और इसका सीधा असर रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात पर दिखने जा रहा है। रोजगारपरक सेक्टर जेम्स व ज्वैलरी, लेदर, गारमेंट के निर्यात में 10 फीसद तक की बढ़ोतरी हो सकती है। निर्यातकों के मुताबिक यूएई में जाने वाला माल सिर्फ यूएई तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यूएई से भारतीय माल अन्य देशों में दोबारा निर्यात (रि-एक्सपोर्ट) होंगे। निर्यात में बढ़ोतरी होने पर निश्चित रूप से उन्हें अपना उत्पादन बढ़ाना होगा और इससे नए रोजगार निकलेंगे। फरवरी में भारत और यूएई के बीच कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीपा) किया गया था जिसे गत एक मई से लागू कर दिया गया।

जेम्स व ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के नॉर्दर्न इंडिया के चेयरमैन अशोक सेठ ने बताया कि अभी यूएई के बाजार में जेम्स व ज्वैलरी का निर्यात छह अरब डॉलर का है जो चालू वित्त वर्ष 22-23 में 10 अरब डॉलर का हो सकता है। उन्होंने बताया कि दुबई ज्वैलरी का हब है जहां से दुनिया के तमाम देश ज्वैलरी की खरीदारी करते हैं। अब भारतीय ज्वैलरी पांच फीसद सस्ती हो जाएगी क्योंकि अब तक ज्वैलरी निर्यात पर जो पांच फीसद शुल्क लगता था, वह सीपा के लागू होने से खत्म हो गया। काउंसिल का मानना है कि यूएई का बाजार शुल्क मुक्त मिल जाने से वित्त वर्ष 22-23 में जेम्स व ज्वैलरी के निर्यात को 50 अरब डॉलर तक ले जाने में आसानी होगी।

काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के वाइस चेयरमैन आर.के. जालान ने बताया कि लेदर आइटम भी अब यूएई के बाजार में पांच फीसद तक सस्ता हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से चीन से यूएई बाजार में लेदर आइटम आते हैं और चीन के मुकाबले भारत को अपना माल यूएई में पहुंचाने में कम खर्च आता है। ऐसे में, भारतीय लेदर आइटम अब यूएई के बाजार में आसानी से चीन के आइटम का मुकाबला कर सकेंगे। जालान ने बताया कि यूएई से भारतीय लेदर आइटम अब रि-एक्सपोर्ट हो पाएगा और यूएई होने वाले लेदर आइटम के निर्यात में 10 फीसद तक की बढ़ोतरी संभव है।

अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक अभी दुबई में भारतीय गारमेंट का निर्यात 1.51 अरब डॉलर का है और यह निर्यात 10 फीसद तक बढ़ सकता है क्योंकि दुबई ट्रेडिंग सेंटर है जहां से कुवैत, बहरीन, ओमान जैसे देशों में माल जाते हैं। अगर भारत अफ्रीका के बाजार में सीधे निर्यात करेगा तो अधिक शुल्क लगेंगे, लेकिन दुबई से भारतीय माल आसानी से अफ्रीकी बाजार में जा पाएंगे।

हालांकि, फार्मा एक्सपोर्ट प्रोमशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने बताया एक मई से लागू होने वाले सीपा का असर फार्मा निर्यात पर आगामी जुलाई से देखने को मिलेगा क्योंकि उत्तरी अफ्रीका और खाड़ी के देशों में पहले से भारतीय फार्मा का निर्यात होता है। उन्होंने बताया कि भारत की सस्ती दवाएं यूएई में जब पहुंचेंगी तो अन्य देश भी वहां से भारतीय दवा खरीदना चाहेंगे, लेकिन इसमें अभी दो महीने का वक्त लगेगा।

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