भारत पर निगाह रखने को चीन ने पाकिस्तान के लिए दो उपग्रह छोड़े

बीजिंग । पड़ोसी देश पाकिस्तान खुद अपने दम पर भारत से लड़ नहीं सकता हैं वहां चीन के कंधे का इस्तेमाल करता रहता है। एक बार फिर पाकिस्तान के कहने पर भारत पर निगाह रखने के लिए चीन ने सोमवार को दो उपग्रहों का प्रक्षेपण किया।

19 साल के दौरान लांग मार्च-2 सी रॉकेट का यह पहला अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक प्रक्षेपण है।पीआरएसएस-1 पाकिस्तान को बेचा गया चीन का पहला ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह है। इसके साथ ही किसी विदेशी खरीदार के लिए चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित 17 वां उपग्रह है।

वहीं पाकिस्तान ने पाकटीईएस-1 ए उपग्रह को विकसित किया है। अगस्त 2011 में संचार उपग्रह पाकसैट-1 आर के प्रक्षेपण के बाद से चीन और पाकिस्तान के बीच एक और अंतरिक्ष सहयोग हुआ है। पीआरएसएस-1 का इस्तेमाल जमीन और संसाधन के सर्वेक्षण,

प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, कृषि अनुसंधान,शहरी निर्माण और सीमा एवं सड़क क्षेत्र के लिए रिमोट सेंसिंग सूचना उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि पाकिस्तान इस उपग्रह के जरिए भारत पर नजर रख सकता है। इसके साथ ही चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव में भी यह काम आएगा।

मीडिया के मुताबिक,अगस्त 2011 में संचार उपग्रह पाकसैट-1 आर के प्रक्षेपण के बाद से चीन और पाकिस्तान के बीच एक और अंतरिक्ष सहयोग हुआ है। पीआरएसएस-1 का इस्तेमाल जमीन एवं संसाधन के सर्वेक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, कृषि अनुसंधान, शहरी निर्माण, सीमा और सड़क क्षेत्र के लिए रिमोट सेंसिंग सूचना उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा। यह प्रक्षेपण लॉन्ग मार्च रॉकेट श्रृंखला का 279 वां अभियान और करीब दो दशक के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक प्रक्षेपण है। 1999 में इसने मोटोरोला के इरिडियम उपग्रह का प्रक्षेपण किया था।

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