भारत ने श्रीलंका में 404 घर भारतीय मूल के तमिलों को सौंपे

कोलंबो । भारत ने श्रीलंका के चाय बागान क्षेत्र में काम करने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर की लागत से निर्मित घर रविवार को लोगों को सौंप दिए। घर पाने वाले लोगों में अधिकांश तमिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नुवारा इलिया शहर के दुनसिनाने एस्टेट में घर सौंपने के लिए आयोजित विशेष कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शिरकत की। ये घर भारतीय आवास योजना के तहत बनाए गए हैं। भारत की ओर से किसी भी देश में ये सबसे बड़ी घर परियोजना है।

मोदी ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है, जहां सब की प्रगति और विकास की आकांक्षाएं पूरी हों। लगभग 404 घर भारतीय मूल के लोगों को सौंपे गए हैं, जिनमें अधिकाश तमिल हैं। यहां भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि ज़मीन की मिल्कियत समेत नए घरों को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे,

भारत के उच्चायुक्त तरंजीत सिंह संधू, मंत्री पलानी दिगम्बरम, नवीन दिस्सनायक और ज्ञानथा करुणतिलेका ने सौंपे। भारतीय मिशन ने ट्वीट किया खराब मौसम और बारिश के बावजूद 1500 से ज्यादा लोगों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मोदी ने कहा भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।

मोदी ने कहा कि 60,000 में से अब तक करीब 4700 घर बन गए हैं। इन घरों को बनाने के लिए दिए गए 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर का अनुदान किसी भी देश में भारत द्वारा दिए गए सबसे बड़े अनुदान में से एक है। उन्होंने कहा श्रीलंका हमारे लिए विशेष है और यह खास बना रहेगा। लाभार्थियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा आपकी जड़ें भारतीय हैं। वे श्रीलंका में बड़े हुए हैं। आपने न सिर्फ दो देशों को जोड़ा है बल्कि दिलों को छुआ है और दो महान राष्ट्रों के हाथों को मज़बूत किया है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा आज हम नए भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। भारत और श्रीलंका की दोस्ती नई ऊंचाई पर पहुंची है। मोदी ने कहा हम अतिरिक्त 10,000 घरों के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं जिस पर 12 अरब श्रीलंकाई रुपए की लागत आएगी।

उन्होंने कहा कि नए 10,000 घरों के निर्माण के लिए भूमि की पहचान कर ली गई है। भारतीय मिशन ने ट्विटर पर कहा जनता उन्मुख विकास सहायता जारी रखते हुए अतिरिक्त 10,000 घरों को बनाने के लिए लैटर ऑफ एक्सचेंज पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे बागान क्षेत्रों में भारत की अनुदान प्रतिबद्धता बढ़कर 14000 घर हो जाएगी।

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