सांसद ज़ालिम आज़म खान के ज़ुल्म का मुकाबला सब्र से करने वाली, क़ुरआन और पैगम्बर इस्लाम की तौहीन से गयी तड़प,चमचे वक्फखोर मुर्तद वसीम रिज़वी के शिया वक़्फ़ बोर्ड में धराशायी कर गरीब परवर बेवा बेगम नूर बानो को मिला सुकून,किया सजदये शुक्र,बना चर्चा

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शाहजहाँ ने बनवाया था ताजमहल,नवाब रामपुर ने बनवाया था बेगम नूर बानो के लिए नूर महल,ऐसी शख्सियत की मल्लिका बुज़ुर्ग की पैग़म्बरे इस्लाम और क़ुरआन के लिए मोहब्बत बनी चर्चा

तहलका टुडे टीम/अली मुस्तफ़ा-7985533765

लखनऊ-केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के उप नेता मुख़्तार अब्बास नकवी के रामपुर में कभीं ज़ालिम शहंशाह रहे आज़म खान के ज़ुल्म में शरीक और उससे लिए एक हाथ बढ़कर चमचा गीरी करने वाले शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चैयरमैन मुर्तद वसीम रिज़वी की माफिया गीरी और कुरान और पैग़म्बरे इस्लाम स. अ. की तौहीन से तड़प गयी बुज़ुर्ग बेगम नूर बानो का वक़्फ़ बोर्ड का मेंबर बनकर खुद वोट देने के लिये आना,उसके वर्चस्व को मिट्टी में मिलाकर ख़ुदा का शुक्र अदा करने की चर्चा आम जन की ज़बान पर आज उनके कई किस्सो के साथ सामने आ रही है।

आज़म खान ने रामपुर की जनता और खासकर बेगम नूर बानो को अज़ीयत देने में कभी कोई कसर नही छोड़ी,जितना अज़ीयत और ज़िल्लत दे सकते खूब जमकर दी,रामपुर की तरक्की से ज़ियादा उन्होंने नवाब खानदान को बर्बाद करने और बेगम नूर बानो को परेशान कर तड़पाने में ज़ियादा दिमाग लगा दिया,हर हाल में शुक्र का सजदा अदा करने वाली बुज़ुर्ग नूर बानो ने सब्र का दामन कभी नही छोड़ा,अल्लाह से और अदालत से इंसाफ के लिए दरवाजा खटखटाती रही,क़ुरआन और रसूले करीम स अ की तौहीन बर्दाश्त नही कर पाई और
मुर्तद वसीम रिज़वी के खात्मे और शिया वक़्फ़ बोर्ड का चैयरमैन अली ज़ैदी को बनाने के लिए ज़ाइफी तबियत खराबी के बाद खुद वोट डालने रामपुर से अपने पोते को साथ लेकर आई,कामयाबी के बाद अल्लाह का शुक्र का सजदा करते देखी गयी।

मालूम हो सांसद आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला के साथ सीतापुर जेल में बंद हैं। रामपुर शहर में आजम के बनवाए गेटों और पार्कों के नाम प्रशासन की ओर से बदलवाए जा रहे हैं। ये वे गेट और पार्क हैं जो नवाबों ने बनवाए थे।

नवाबों से आजम को इतनी खुन्नस थी कि उनके बनवाए तमाम गेट उन्होंने तुड़वा दिए थे। उनके किले को भी तुड़वाने पर आमादा थे। नवाबों से खुन्नस के प्रमाण उनके द्वारा विभिन्न मंचों से कहे गए बोल देते हैं। मंच से वह किले को गुलामी की निशानी बताते हुए कहा करते थे कि नवाब जुल्म ढाते थे। लोगों को पांचवीं से आगे पढऩे सेे रोककर उनके घरों में रोशनी का रास्ता रोक देते थे।

आजम का नवाब खानदान से हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। उन्होंने जब राजनीति की शुरुआत की, तब रामपुर की सियासत में नवाब खानदान का दबदबा था। नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां सांसद थे। वह पांच बार सांसद रहे। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं। उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां पांच बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। आजम शुरू से ही नवाबों के खिलाफ बोलते थे। वह जब भी सत्ता में आते नवाब खानदान को निशाना बनाते। उन्होंने नवाबी दौर में बने तमाम गेट जर्जर बताते हुए तुड़वा दिए। किले को तुड़वाने का भी फरमान जारी कर दिया था। इसके लिए 22 नवंबर 2013 को जिलाधिकारी को पत्र भी लिख दिया था। उस समय वह सूबे की सरकार में नगर विकास एवं संसदीय कार्य समेत आठ विभागों के मंत्री थे।

आजम ने पत्र में लिखा था कि शहर के बीचोबीच बना किला रामपुर वालों के लिए प्रकोप के तौर पर महसूस किया जा रहा है। धूप और हवा रोक रहा है। इसके दोनों गेट जर्जर हैं, जिससे बड़े हादसे का अंदेशा है। आम लोगों की जान माल का नुकसान हो, इससे पहले ही लोक निर्माण विभाग से जांच कराकर यदि इसे गिराया जाना आवश्यक हो तो इसमें कोई देर न लगाई जाए। उन्होंने यह भी लिखा था कि इस प्रकार की इमारतें अपराध का कारण भी होती हैं। इनके दरवाजों में बनी कोठरियां कुकर्म के लिए जानी जाती हैं।

किला नवाबों की धरोहर है, इसलिए इसे बचाने के लिए नवाब खानदान ने अदालत की शरण ली। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां ने कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। तब अदालत ने इसे तोड़ने पर रोक लगा दी। सपा शासनकाल में किले के अंदर दीवारों से सटाकर 61 दुकानें बनवा दी गई थीं, ताकि मार्केट के लिए किले की दीवारें तोड़ी जा सकें। इस मामले में भाजपा की सरकार बनने पर जांच कराई गई तो सरकारी धन का दुरुपयोग पाया गया। इसके लिए तत्कालीन पालिकाध्यक्ष अजहर खां के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। उनसे एक करोड़ 31 लाख की वसूली के लिए भी कार्रवाई की गई। उनके खिलाफ और भी कई मुकदमे दर्ज हुए। इस समय वह फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित है। पुलिस उनके घर की कुर्की भी कर चुकी है।

किला रामपुर की ऐतिहासिक धरोहर है। इसी में रजा लाइब्रेरेरी है। जिसमे हज़रत अली अलैहिस्सलाम के हाथों से लिखा हुआ क़ुरआन रक्खा है,इसे संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग को भी लिखा गया है।

शाहजहां ने अपनी बेगम की याद में आगरा में ताजमहल बनवा दिया। कुछ इसी तरह रामपुर में नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां ने अपनी बेगम नूरबानो के लिए नूरमहल बनवा दिया। यह नूरमहल नवाब खानदान की शान है। देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी खास मेहमान इस महल में आ चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा भी इस महल में आए। इंदिरा गांधी तो यहां रात में रुकीं भी थीं। नेता ही नहीं, बल्कि अभिनेता भी इस महल में रातें गुजार चुके हैं। मशहूर फिल्म अदाकार दिलीप कुमार यहां लगातार कई दिन रुके। इनके अलावा कई देश के राजदूत भी यहां आते रहे हैं। जानिए रामपुर के नूर महल की ऐसी ही खूबियों और इतिहास के बारे में।

आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का राज था। अब जिस तरह केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल राजभवन में रहते हैं। ठीक उसी तरह नवाबी दौर में अंग्रेजी हुकुमत के वायसराय के प्रतिनिधि रामपुर रियासत में तैनात रहते थे। पहले नवाब खानदान किले में रहता था तो प्रतिनिधि का आवास भी वहीं था। 1930 में जब कोठी खास बाग बनी, तब कचहरी के पास राजभवन बनाया गया। इसी महल में वायसराय के प्रतिनिधि रहने लगे। 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन रामपुर इसके दो साल बाद 1949 में आजाद हुआ, तब राजभवन को गेस्ट हाउस बना दिया गया। इसका नाम नवाब रजा अली खां के बेटे नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां के नाम पर जुल्फिकार मंजिल रखा गया।

1956 में मिक्की मियां की शादी बेगम नूरबानो के साथ हुई तब नूरबानो दुल्हन के रूप में कोठी खासबाग आईं। कई साल तक यहीं रहीं, लेकिन बाद में मिक्की मियां परिवार समेत जुल्फिकार मंजिल में रहने लगे। वह बेगम नूरबानो से बेपनाह मुहब्बत करते थे। इसलिए उन्होंने अपने महल का नाम भी जुल्फिकार मंजिल से बदलकर बेगम के नाम पर नूरमहल रख दिया। नूरमहल की रामपुर ही नहीं, बल्कि देश की सियासत में भी खास पहचान रही है।

बेगम नूरबानो बताती हैं कि नूरमहल में बड़े-बड़े नेता और अभिनेता आते रहे हैं। देश की ताकतवर प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी भी नूरमहल में आई थीं, उन्होंने रात भी यहीं बिताई थी। उस रात वह पूरी रात जागीं और इंदिरा गांधी की पहरेदारी करती रहीं। 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा यहां आए और लंच भी यहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन मनमोहन सिंह भी पीएम बनने से पहले नूरमहल आए थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान बिलासपुर में जनसभा को संबोधित किया था। इनके अलावा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कई बार नूरमहल आईं। उनके पति विनोद दीक्षित से मिक्की मियां के घनिष्ठ संबंध थे, जबकि विनोद दीक्षित के पिता उमा शंकर दीक्षित से नवाब रजा अली खां के पारिवारिक संबंध रहे। इनके अलावा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई बार मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी और हरीश रावत भी बार-बार नूरमहल आए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश के कई राज्यपाल भी नूरमहल आते रहे।

बेगम नूरबानो बताती हैं कि मशहूर फिल्म अदाकार दिलीप कुमार के नवाब खानदान से पारिवारिक संबंध रहे हैं। वह मिक्की मियां के बहुत करीबी रहे। लगातार कई दिन नूरमहल में ठहरे। वह हारमोनियम पर गजलें सुनाते थे। मिक्की मियां और नूरबानो की चुनावी सभाओं में भी यहां आते रहे। बेगम नूरबानो के बेटे पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां बताते हैं कि नूरमहल में विदेशी मेहमान भी दर्जनों की तादात में आए हैं। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की समेत दर्जनों देशों के राजदूत नूरमहल के मेहमान रह चुके हैं।

नूरमहल करीब 22 बीघे में बना है। नवाब खानदान के लोग जिस हिस्से में रहते हैं, उसके द्वार पर खूबसूरत स्टैचू बने हैं। इसके सामने गार्डन है, जिसमें आजकल गुलाब की बहार आई है। बेगम नूरबानो को फूल-पौधों से बेहद लगाव है। बताती हैं कि वह खुद भी इनकी देखभाल करती हैं। जब वह कोठी खासबाग में रहती थीं तब वहां मुगल गार्डन था, वह अक्सर वहां बैठकर खाना खाती थीं। नूरमहल पहुंची तो उसमें भी खूबसूरत गार्डन तैयार कराया। इसमें कई पौधे ऐसे भी हैं, जो अंग्रेज अधिकारियों द्वारा लगाए गए हैं। एक पेड़ तो गोलाकार है और चारों ओर से झुक गया है। उसके नीचे कई लोग कुर्सियां डालकर बैठ सकते हैं। वह अक्सर इसके नीचे बैठती हैं।

बेगम नूरबानो, नूरमहल से पहले जिस खास बाग में रहती थीं, उसकी भी खास पहचान है। यह देश की पहली फुली एयर कंडीशनर कोठी है। इस कोठी में ढाई सौ कमरे हैं और तमाम कमरों में एयर कंडीशनर सिस्टम लगा था। आजकल नवाब खानदान में बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए खानदान के तमाम लोग खास बाग पहुंच रहे हैं।

दरअसल इसी कोठी में नवाबों का स्ट्रॉन्ग रूम है, जिसमें हीरे-जवाहरात रखे हैं। स्ट्रॉन्ग रूम को खोल कर हीरे- जवाहरात का सर्वे व मूल्यांकन किया जाएगा। कोठी खासबाग में ही नवाब खानदान की आर्मरी है। इसमें नवाबी दौर के हजारों हथियार हैं। इनमें रायफल, पिस्टल, रिवॉल्वर, बंदूक आदि शामिल हैं। इन हथियारों का भी बंटवारा होगा। नवाब खानदान की अरबों रुपये की संपत्ति है। इसमें 16 हिस्सेदार हैं।

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