ग्रैंड रिलिजियस अथॉरिटी आयतुल्लाह अली सिस्तानी साहब के भारत में वकील मौलाना अशरफ अली गरवी के नेतृत्व में बाराबंकी की करबला सिविल लाइंस में हिज़बुल्लाह चीफ शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की याद में ताज़ियती जलसा: मजलिस, मातम और ‘अमेरिका-इजराइल,मुर्दाबाद’ के नारों के बीच झंडों को गया रौंदा
तहलका टुडे टीम
बाराबंकी, जालिम रावण को घर में घुसकर मारने वाले पुरषोत्तम श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या के द्वार कहे जाने वाले बाराबंकी की कर्बला सिविल लाइन में शहीद हिज़बुल्लाह चीफ सैयद हसन नसरुल्लाह की याद में एक ताजियती जलसा किया गया,यह जलसा बाराबंकी में एकता और श्रद्धा का प्रतीक बना, जिसमें ‘अमेरिका-इजराइल मुर्दाबाद’ के नारों के साथ, प्रदर्शनकारियों ने इन देशों के झंडों को पैरों तले रौंदा। इस जलसे की अगुवाई मौलाना अशरफ अली गरवी ने की, जो ग्रैंड रिलिजियस अथॉरिटी आयतुल्लाह अली सिस्तानी साहब के भारत में वकील के रूप में जाने जाते हैं। उनका इस प्रदर्शन में शामिल होना हिजबुल्लाह चीफ शहीद हसन नसरुल्लाह के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।
नमाज-ए-मगरिबैन के बाद इस भावुक मजलिस की शुरुआत हुई, जिसमें बाराबंकी के अलावा आस-पास से बड़ी संख्या में लोग शिरकत करने आए थे। मौलाना अशरफ अली गरवी ने अपने प्रभावशाली खिताब से लोगों के दिलों को झकझोर दिया। उन्होंने अपने भाषण में शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के जीवन, उनकी बहादुरी और ईमानदारी को याद किया। मौलाना ने बताया कि नसरुल्लाह ने हमेशा हक की राह पर चलते हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद की और अपनी शहादत देकर एक नई क्रांति की नींव रखी। उनके भाषण में इमाम हुसैन के संदेश को भी जोड़ा गया, जो हर युग में इंसाफ और इंसानियत की हिफाजत का प्रतीक है।
मौलाना अशरफ अली ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा दौर में जब दुनिया भर में अन्याय और असमानता का बोलबाला है, तब शहीद नसरुल्लाह जैसे महान लोगों के जीवन से प्रेरणा लेना नितांत आवश्यक है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शहीद के आदर्शों पर चलें और दुनिया में जहां भी अत्याचार हो, वहां उसका सामना करें। उनके इस संदेश ने उपस्थित जनसमूह को प्रेरित किया और लोगों ने शहीद की याद में आंसू बहाए।
जलसे के बाद कर्बला कैम्पस से एक विशाल कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें लोग शहीद नसरुल्लाह की याद में मातम करते हुए नारे लगा रहे थे। इस कैंडल मार्च ने गहरा प्रभाव छोड़ा। लोग मोमबत्तियां लिए शांति और श्रद्धा के साथ जलसे में शरीक हुए और एकता, भाईचारे और इंसाफ का संदेश दिया। मार्च के दौरान कई जगहों पर ‘अमेरिका-इजराइल, नेत्यान्याहू मुर्दाबाद’ के नारे लगाए गए, और विरोधस्वरूप इन देशों के झंडों को रौंदा गया। यह घटना लोगों के भीतर उत्पन्न गहरे आक्रोश और विरोध का प्रतीक बनी।
जलसे में कई धार्मिक और सामाजिक व्यक्तित्व मौजूद थे, जिनमें इमामे जुमा मौलाना मोहम्मद रज़ा, मौलाना कुमैल अब्बास, मौलाना हिलाल अब्बास, और मौलाना शब्बीर अली प्रमुख थे। इन सभी ने अपने-अपने भाषणों में इंसाफ की राह पर चलने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने शहीद नसरुल्लाह की बहादुरी और उनके संघर्ष को सराहा और बताया कि उनकी शहादत न केवल एक व्यक्ति का बलिदान है, बल्कि यह पूरी दुनिया में इंसाफ और मानवता की लड़ाई का एक प्रतीक है।
इस मौके पर बाराबंकी के प्रसिद्ध शायर बाकर बाराबंकवी के संचालन में आयोजित प्रोग्राम में कई नामचीन शायरों ने भी कलाम पेश किए। सरवर रिजवी करबलाई, अजमल कितुरी, डॉ रज़ा मौरानवी, और वकार सुल्तानपुरी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से शहीद नसरुल्लाह को श्रद्धांजलि दी। उनके कलाम ने जलसे में उपस्थित लोगों को भावनात्मक रूप से झकझोरा और शहीद की याद में मातमी माहौल को और भी गहरा बना दिया।
सोशल मीडिया और यूट्यूब के माध्यम से इस जलसे का लाइव प्रसारण किया गया, ताकि देश-विदेश में बसे शहीद नसरुल्लाह के चाहने वाले भी इस भावुक पल का हिस्सा बन सकें।
बाराबंकी के मोमिनीन ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह ताज़ियती जलसा एक ऐतिहासिक और भावुक अनुभव बना।
मजलिस और कैंडल मार्च के बाद गहरा सन्नाटा और मातमी माहौल छा गया, जहां लोग शहीद नसरुल्लाह की याद में डूबे हुए थे। इस आयोजन ने बाराबंकी में एकता, शांति, और धार्मिक सौहार्द्र का संदेश दिया, जो आवाम के दिल में शहीद नसरुल्लाह के प्रति श्रद्धा और सम्मान को और भी गहरा कर गया।
कर्बला सिविल लाइंस पर हुआ यह ताज़ियती जलसा बाराबंकी के इतिहास में एक अहम अध्याय जोड़ता है, जिसमें शहीद हसन नसरुल्लाह की शहादत और उनके आदर्शों को याद करते हुए पूरी आस्था और श्रद्धा से हिस्सा लिया।