भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफताबे शरीयत मौलाना कल्बे जवाद नकवी का देश की राजधानी दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर किया गया ऐलान “जान दे देंगे पर वक्फ संपत्ति जाने नहीं देंगे, सड़कों पर उतरेंगे,हमारे बुज़ुर्गों की क़ुर्बानी का नतीजा हैं वक़्फ़ की संपत्तियां,हलवा नहीं कि जो चाहे खा लेगा,लोहे के चने चबाने होंगे उसे”

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तहलका टुडे टीम

दिल्ली समेत पूरे देश की वक्फ संपत्तियों की बर्बादी और लूटा खसोटी और धमकियों से दुखी भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफताबे शरीयत मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने दहाड़ते हुए कहा जान दे देंगे पर वक्फ संपत्ति जाने नहीं देंगे, सड़कों पर उतरेंगे,हमारे बुज़ुर्गों की क़ुर्बानी का नतीजा हैं,हमारे बुज़ुर्गों ने अपने बच्चों के लिए, अपनी औलाद के लिए जायदाद नहीं छोड़ी, बल्कि ग़रीबों के लिए नेक काम करने के लिए इन्हें वक़्फ़ किया है. वक़्फ़ की संपत्तियां; हलवा नहीं कि जो चाहे खा लेगा,उसे लोहे के चने चबाने होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्रचा के साथ आज नई दिल्ली जोर बाग़ स्थित कर्बला शाहे मर्दा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे कहा
कि चोर को बना दिया जाता है वक़्फ़ बोर्ड का चेयरमैन’

सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी मौलाना कल्बे जवाद ने वक़्फ़ बोर्ड के काम और चेयरमैन अमानतुल्लाह खान पर आरोप लगाया कि चोर वक़्फ़ का चेयरमैन को बना दिया जाता है ताकि मुसलमान भीख मांगता रहे और उनके पैरों में खड़ा रहे. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि एक बार जो वक़्फ़ की ज़मीन थी वो हमेशा वक़्फ़ की ज़मीन रहेगी. हम इन ज़मीनों के लिए जान दे देंगे लेकिन जाने नहीं देंगे.

वक़्फ़ की संपत्ति का मालिक सिर्फ़ अल्लाह
सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मैं यह कहना चाहूंगा कि अमानतुल्लाह ख़ान चाहें जवाब दे या नहीं, लेकिन वक़्फ़ बोर्ड बनने से पहले क्या यह संपत्तिया वक़्फ़ नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि जो एक बार वक़्फ़ हो गया चाहें काफ़ी अर्सा गुज़र जाएं वह वक़्फ़ ही रहेगा. जो संपत्ति एक बार वक़्फ़ हो गई, ना तो कोई उसको ख़रीद सकता है, ना बेच सकता है और न ही किसी को दे सकता है. लोगों को ग़लतफ़हमी दूर करना चाहिए कि वक़्फ़ बोर्ड वक़्फ़ की किसी भी संपत्ति का मालिक नहीं होता है बल्कि वक़्फ़ बोर्ड के लोग वक़्फ़ की संपत्ति के नौकर होते हैं. क्या नौकर को यह हक़ है वह किसी को मालिक की संपत्ति दे देगा. वक़्फ़ की संपत्ति का मालिक अल्लाह होता है, अल्लाह के नाम पर वक़्फ़ किया जाता है. शिया- सुन्नी सब मिलकर औकाफ की हिफ़ाज़त के लिए लड़ेंगे.

सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि इस मामले में वक़्फ़ की संपत्तियों को बचाने के लिए हम गृह मंत्री अमित शाह और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगे, क्योंकि वह सबका साथ, सबका विश्वास की बात करते हैं।उनसे कहेंगे कि हमारी संपत्तियों को छीना जा रहा है.

दरअसल दिल्ली की जिन 123 संपत्तियों की बात हो रही है, इनमें ज्यादातर मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान हैं. इन पर साल 1911 से ही विवाद चल रहा है, जब अंग्रेज भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली लेकर आए. 70 और 80 के दशक में बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर साल 2014 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने इनको दिल्ली वक्फ बोर्ड को देने का नोटिफिकेशन कर दिया था, लेकिन विवाद कोर्ट में चलता रहा जो आज भी जारी है

सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी मौलाना कल्बे जव्वाद ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की वजह से वक्फ की ये संपत्ति केंद्र के पास जा रही है। साजिशन दिल्ली वक्फ बोर्ड (डीडब्ल्यूबी) के अध्यक्ष ने यह गलत जानकारी सार्वजनिक की है कि इस मामले को लेकर गठित समिति में डीडब्ल्यूबी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है, जबकि वक्फ बोर्ड की एक सदस्य के साथ ही इन संपत्तियों की देखभाल करने वाले (मुतवल्ली) ने कमेटी के सामने वक्फ संपत्ति से संबंधित दस्तावेज पेश किए थे।

जोरबाग स्थित कर्बला के नजदीक पत्रकारों से बातचीत के दौरान मौलाना ने डीडब्ल्यूबी के अध्यक्ष अमानउल्लाह खान को खयानतउल्ला खान बताते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर वक्फ की संपत्तियों पर केंद्र का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों को बचाने को लेकर जरूरत पड़ी तो जान तो देंगे, सड़कों पर उतकर आंदोलन चलाएंगे। साथ ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी ने तल्ख लहजे में कहा कि वक्फ संपत्तियों को लूटने के लिए बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भ्रष्टाचारी लोगों को बैठाने का चलन बढ़ गया है।

उनके साथ मौजूद अधिवक्ता महमूद प्राचा ने आरोपों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अमानतउल्लाह खान ने इस मामले को लेकर बोर्ड के सदस्यों को भी विश्वास में नहीं लिया। उनसे केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की बात छुपाई। साथ ही कोर्ट की सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। इस मामले से स्टे हट गया तो इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की। यह पूरी साजिश का हिस्सा है। इसमें दिल्ली सरकार के साथ अमानतउल्लाह खान भी शामिल हैं। उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। वहीं, पूरे मामले से जुड़े एक अन्य अधिवक्ता सैयद बहादुर अब्बास हैदरी ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी के समक्ष नियमित तौर पर मुतवल्ली पेश हुए थे तथा संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज पेश किए थे, लेकिन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) व भूमि एवं विकास विभाग (एलएनडीओ) के पास दस्तावेज नहीं थे।


केंद्र सरकार ने दिल्ली में वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का निर्णय किया है। इसके पहले वर्ष 2021 में सेवानृवित्त न्यायमूर्ति एसपी गर्ग की अध्यक्षता में दो सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसे इन संपत्तियों से संबंधित दावे जांचने थे, लेकिन समिति का कहना है कि संबंधित संपत्तियों को लेकर उनके पास दिल्ली वक्फ बोर्ड का कोई प्रतिनिधि पहुंचा था। ये बहुमूल्य हजारों करोड़ रुपये की संपत्तियां उपराष्ट्रपति भवन परिसर सहित लुटियंस दिल्ली के विभिन्न मार्गों, कनाट प्लेस व पुरानी दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख स्थानों पर है। इनका कुल क्षेत्रफल तकरीबन 1,360 एकड़ है, जिसका बाजार मूल्य 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है।

वेतन की मांग को लेकर वक्फ बोर्ड के बाहर धरने पर बैठे इमाम व मोअज्जिन

दिल्ली वक्फ बोर्ड की मुश्किलें बढ़ाते हुए बकाया वेतन की मांग को लेकर इमाम व मोअज्जिन धरने पर बैठ गए हैं। दरियागंज स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे महफूज रहमान ने बताया कि उन लोगों को 10 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। वक्फ बोर्ड द्वारा इमाम को 18 हजार तथा मोअज्जिन को 16 हजार प्रति माह वेतन मिलता है। दिल्ली में 280 इमाम और मोअज्जिन हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड की अंदुरुनी लड़ाई में उनका गुजारा मुश्किल हो गया है।

अमानतउल्लाह ने कांग्रेस पर फोड़ा वक्फ संपत्ति विवाद का ठीकरा

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा दिल्ली में मौजूद 123 वक्फ संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की तैयारी से बैकफुट पर आए दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतउल्लाह खान ने इसका ठीकरा केंद्र की कांग्रेस सरकारों को फोड़ा है। साथ ही बताया कि केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसपर एक दो दिन में सुनवाई संभव है। दरियागंज स्थित बोर्ड कार्यालय में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि वर्ष 1984 में तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की केंद्र सरकार ने हमारी ही वक्फ संपत्तियों को हमें ही लीज पर देने का निर्णय किया। उसके बाद से ही यह मामला विवादों में आ गया और इस मामले को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) कोर्ट में ले गई।
उन्हाेंने चिंता जताते कहा कि अगर ये संपत्तियां केंद्र ने अपने हाथ में ले लिया तो इनपर अवैध कब्जे के मामले बढ़ेंगे, क्योंकि इनपर स्थिति मस्जिद, मदरसे और कब्रिस्तान को सरकार को खाली कराना आसान नहीं होगा। इसके साथ ही इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इससे संबंधित मामला हाई कोर्ट में पहले से लंबित है।

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