बरनाला, पंजाब । भारत के लिए खेलों में मेडल जीतना हर भारतीय खिलाड़ी का गौरव होता है। पंजाब के हकम सिंह भट्टल ऐसे ही खिलाड़ी हैं जिन्होंने एशियन खेलों में गोल्ड मेडल और ध्यान चंद अवॉर्ड जीता था। पर हकम सिंह भट्टल (64) इस वक्त संगरूर के एक अस्पताल में मौत से लड़ रहे हैं। उनका परिवार बेहतर इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। अब तक कोई मदद के लिए आगे नहीं आया है।
यहां तक सरकार से भी उन्हें अभी तक निराशा हाथ लगी है।
गौरतलब है कि भट्टल को लिवर और किडनी से संबंधित बीमारी है। वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। भारत के लिए मेडल जीतने वाले हक भारतीय सेना में भी रहे हैं। उन्होंने 1972 में 6 सिख रेजिमेंट में हवलदार के तौर पर जॉइन किया था। इससे भी बड़ी बात यह है कि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्टल गांव के रहने वाले हैं। खेल के विकास में अहम योगदान के लिए उन्हें 29 अगस्त, 2008 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ध्यान चंद अवॉर्ड से सम्मानित मिल चुका है। बावजूद इसके उनकी फैमिली को इलाज के पैसों के लिए भटकना पड़ रहा है।
हकम के बेटे सुखजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता ने बैंकॉक एशियन गेम्स-1978 में पुरुषों के 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा का गोल्ड मेडल नए रेकॉर्ड के साथ अपने नाम किया था। 1981 में लगी एक खतरनाक चोट की वजह से उन्हें खेलना छोड़ना पड़ा, लेकिन वह एथलेटिक्स से जुड़े रहे। 1987 में आर्मी से जब वह रिटायर हुए तो उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए
पंजाब पुलिस ने 2003 में उन्हें एथलेटिक्स कोच के तौर पर आरक्षक रैंक की नौकरी दे दी। यहां से वह 2014 में रिटायर हुए। हकम की पत्नी बेअंत कौर ने बताया, मेरे पति को इलाज के लिए राज्य सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है। उनका लिवर लगभग पूरी तरह खराब हो गया है।
उन्हें पहले बरनाला के एक अस्पताल में 4 दिन के लिए भर्ती कराया गया था। फिलहाल वह एक संगरूर में एक निजी अस्पताल में हैं। इस बारे में बरनाला के डिप्टी कमिश्नर धरमपाल गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले को राज्य सरकार के पास भेजेंगे।