अलम का एहतेराम चूमना नही है,बल्कि उसके पैगाम को समझना और उस पर अमल करना है ,रहबरे हिंद मौलाना सैयद सफी हैदर

धर्म-दर्शन बाराबंकी

कर्बला सिविल लाइंस में भारी मजमे को किया खिताब

बाराबंकी :अलम का एहतेराम उसका चूमना नही बल्कि अलम ये पैगाम दे रहा है ये है की हाथ कट जाए लेकिन हक का परचम ना गिरने पाये,बेवफाई न होने पाए, वादा खिलाफी ना होने पाए,बुजदिली ना होने पाए दीन फरोशी ना होने पाए ये हजरत अब्बास अलैहिस्सलम बता रहे है इस पर अमल करना अलम का एहतेराम है। ये बात कर्बला सिविल लाइन में नौचंदी जुमेरात के मौके पर बराये ईसाल ए सवाब मरहूमा ज़ीनत फातिमा बिन्ते मुहिब हुसैन के लिए आयोजित मजलिस को संबोधित करते हुए तंजीमूल मकतीब के सेक्रेट्री रहबरे हिंद हुज्जातुल इस्लाम मौलाना सैयद सफी हैदर साहब क़िबला ने कही

रहबरे हिंद ने आगे कहा रमज़ान रहमतों बरकतों और मग़फ़िरत का महीना है । मोहम्मद व आले मोहम्मद ही वो ज़ात हैं जो अल्लाह के सभी फ़ज़्ल को अपने वजूद में लेकर ज़रूरत के हिसाब से सभी मख़लूक तक पहुचाते हैं ।बल्कि यूं कहूं कि पूरी कायनात के वजूद का जरीया मोहम्मद व आले मोहम्मद है ।

मौलाना सैयद सफी हैदर साहब ने आगे कहा कि बाशऊर होकर दीन अपनाएं बेशऊरी के साथ दीन पर अमल करने से कोई फायदा नहीं । दीन बदलता नहीं तरीके बदलते हैं जो बदलता है वो दीन नहीं होता । खालिके क़ायनात के बाद मुझे पैदा करने वाले ख़ालिक का नाम मां – बाप है । वाल्दैन की रज़ा हो तो मुस्तहब वाजिब हो जाता है,रज़ा न हो तो हराम हो जाता है ।इस्लाम इंसानों के लिए आया सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं जिसने इसके उसूलों को अपनाया कामयाब हुआ ।

अन्त में करबला वालों के दर्दनाक मसायब पढ़े जिसे सुनकर मोमनीन रोने लगे ।

मजलिस से पहले डॉक्टर रज़ा मौरानवी ने पढ़ा –
चरागों शम्शो क़मर से कहके रौशनी की ज़कात लेलो ,
तमाम आलम में नूरे वहदत जो बांटती है वो फ़ातिमा ।

डाक्टर मुहिब रिज़वी ने पढ़ा –
इमाम ए वक़्त का आखिर जुहूर कैसे हो ,
मोहब्बतों में भी कूफ़ा मिजाज़ है हम लोग ।

आरिज़ जरगांवी ने पढा-
बन के अब्बास जो आदा पे न छाई होती
जलते ख़ैमे से इमामत न बचाई होती ।

हाजी सरवर अली रिजवी ने पढ़ा –
बैयत को मौत आ गई कर्बो बला के बाद ,
अपना यज़ीद ए वख्त भी बिस्तर समेट ले ।

इसके अलावा आसिम नक़वी व रज़ा मेहदी ने भी नजरानए अक़ीदत पेश किया ।

मजलिस का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से हसनैन आब्दी ” गुड्डू भाई ” ने किया। बादे मजलिस नौचन्दी के अलम का गश्त करबला परिसर मे हुआ।
अन्जुमन सदाए हुसैन,अंजुमन पैगामें करबला,अंजुमन गुंचाए अब्बासिया ने नौहा खानी व सीना जनी की ।

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