ज़िन्दाबाद योगी सरकार,पूर्वांचल के आतंक माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी का काम किया खत्म,बागपत जेल में गोली मारकर हत्या

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पूर्वांचल का कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई। आज पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। मुन्ना बजरंगी को कल झांसी जेल से बागपत लाया गया था। जेल मे ही गोली मारकर की गई हत्या कर दी गई। जेल में माफिया डॉन की हत्या से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

कौन है मुन्ना बजरंगी?
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे।

बड़ौत के पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित और उनके भाई नारायण दीक्षित को 22 सितंबर 2017 को कॉल कर रंगदारी मांगी। जान से मारने की धमकी भी दी। बागपत कोतवाली में यह मामला दर्ज कराया गया। पुलिस ने मामले की छानबीन की तो लखनऊ के सुल्तान अली और जेल में बंद मुन्ना बजरंगी का नाम सामने आया थ। पुलिस ने सुल्तान अली को जेल भेज दिया। प्रकरण की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। मुन्ना बजरंगी जेल में बंद है। कोतवाली पुलिस ने झांसी जेल में तलबी भेजी थी, जिसके बाद बजरंगी को बागपत कोर्ट में पेश किया जाना है। सोमवार को पेशी होनी है। जेल से सुरक्षा के बीच पुलिस बजरंगी को बागपत कोर्ट लेकर आएगी। उधर, मुन्ना बजरंगी का परिवार लखनऊ में बागपत पुलिस पर साजिश रचने का आरोप लगा चुका है। बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि जेल से अधिकतर मामलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी होती है, लेकिन पूर्व विधायक के मामले में पुलिस किसी तरह जेल से बाहर निकालना चाहती है।
माफिया मुन्ना बजरंगी को बागपत कोर्ट में पेश करने के लिए पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को एंबुलेंस से भेजा गया। अदालत के आदेश का पालन कराने के लिए रविवार तड़के कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुन्ना बजरंगी को बागपत रवाना किया गया। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर जेल के बाहर कई थानों की पुलिस भी तैनात रही। वहीं, बागपत रवाना होने से पहले मुन्ना बजरंगी का स्वास्थ्य परीक्षण भी हुआ।

पिछले तीस सालों से यूपी समेत देश भर के अपराध जगत में अपने नाम का खौफ पैदा करने वाले मुन्ना बजरंगी के नाम की दहशत लोगों में आज भी कायम है। यूपी के जौनपुर जनपद के सुरेरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत कसेरु पूरेदयाल गांव  के लोगों को कब पता था कि जिस प्रेम प्रकाश को आज वो प्यार और दुलार दे रहे हैं वही प्रेम प्रकाश एक दिन देश का क्राइम किंग बनकर उनके सामने होगा और लोगों पर गोलियों की बौझार करके अपने नाम का खौऱफ पैदा करेगा। पिता पारस नाथ सिंह के आंखों में यह सपना था कि उनका बेटा प्रेम प्रकाश बड़ा होकर पढ़ लिख कर उनके नाम को रोशन करेगा पर पांचवी के बाद प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना ने पढ़ाइ छोड़ दी और छोटे-बड़े अपराध में हाथ आजमाने लगा।
किशोरावस्था आते-आते मुन्ना ने अपराध फिर बड़े अपराध में कदम रख ही दिया
वह बहुत जल्द बृजेश और मुख़्तार अंसारी के समातांतर तीसरे डान के रूप में उभर आया। प्रेम प्रकाश उर्फ़ मुन्ना बजरंगी ने पहली बार 1982 में सुरेरी गांव में मारपीट की घटना को अंजाम दिया। पुलिस की डायरी में धारा 147, 148, 323 ipc के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। 1984 में रामपुर थाने में मुन्ना के खिलाफ पहली बार हत्या और डकैती का मुदमा दर्ज हुआ। मुन्ना के क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा। कुछ ही दिनों मे मुन्ना के अपराध का सिलसिला इस कदर बढ़ा कि मुन्ना बजरंगी ने अपनी भूमिका यूपी के अंदर कांट्रेक्ट किलर के रूप में बनायी।
भाजपा नेता की दिनदहाड़े हत्या के बाद ‘मुन्ना’ से कांपने लगा जिलामुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था. इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया. मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था. इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी. उसके बाद मुन्ना ने गजराज सिंह के इशारे पर  1993 में  जौनपुर के लाइन बाज़ार थाना के कचहरी रोड पर दिन दहाड़े भाजपा नेता राम चन्द्र सिंह उनके सरकारी गनर अब्दुल्लाह समेत तीन लोगों की हत्या कर  दी। भाजपा नेता की हत्या के बाद मुन्ना का नाम अपराध जगत में तेजी से बढ़ने लगा लोग मुन्ना का नाम सुनते ही कांप उठते अब न मुन्ना का नाम रुक रहा था न मुन्ना के असलहे की गोलियां थम रही थी। जौनपुर से शुरु हुआ वारदातों का सिलसिला बढ़ने लगा।
जब पहली बार जिले में तड़तड़ाई  AK-47 जौनपुर जनपद में एक युवा इस समय अपने राजनीति के लिए लोगों के मन में बसने लगा था छोटे -बड़े, अमीर- गरीब, ऊंच-नीच, सबका साथ देने वाले इस नेता का नाम था कैलाश दूबे अपने लोगों के बीच में जल्द इज्जत शोहरत और प्यार हासिल करके कैलाश दूबे रामपुर के ब्लाक प्रमुख चुन लिए गये। ये बात यहां के स्थानीय नेताओं खासकर गजराज  को नागवर गुजरने लगी की इस तरह से अगर कैलाश का कद बढ़ता रहा तो स्थानीय धुरंधरों के राजनीति पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। फिर गजराज ने  कैलाश की हत्या करवाने का मन बना लिया और उसकी जिम्मेदारी मुन्ना को मिली। कैलाश के मौत की सुपारी मिलते ही खूनी खेल का आदती हो चुके मुन्ना बजरंगी 1996 में रामपुर थाना के जमालपुर बाजार के  पास  AK-47 से ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे पंचायत सदस्य राजकुमार सिंह समेत तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
जौनपुर के बाद वाराणसी  फिर दिल्ली तक गूंजने लगा मुन्ना का नामजौनपुर जिले  में मुन्ना एक बड़ा अपराधी बन चुका था हर किसी को डर सताने लगा थी कि पैसे और पहचान के लिए मुन्ना किसी के भी सीने में गोलियां उतार सकता है। अब  मुन्ना ने वाराणसी का रुख कर लिया। कई वारदातों को अंजाम दिया। 1995 में उसने कैंट इलाके में छात्र नेता राम प्रकाश शुक्ल की हत्या कर दी। सबसे बड़ी वारदात को अंजाम देते हुए मुन्ना ने अपना नेटवर्क धीरे-धीरे देश की राजधानी दिल्ली तक बना लिया। 1998 से 2000 के बीच उसने कई घटनाओं को दिल्ली में भी अंजाम देकर देश की आपराधिक सुर्खियों में शुमार होने लगा  मुन्ना बजरंगी अब एक कांट्रेक्ट किलर की बन चुका था व्यपारियों, डाक्टरों, सरकारी ठेकों में मुन्ना का हस्तक्षेप होने लगा। 2002 के बाद मुन्ना ने एक बार फिर से पूर्वांचल में पकड़ बनाने के लिए वाराणसी के चेतगंज में स्वर्ण व्यवसायी की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। इस समय तक मुन्ना का अपराध की दुनिया में मुख़्तार अंसारी के लिए काम करने लगा।  भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोपमुख्तार अंसारी अपने आपराधिक और राजनीतिरक रसूख के लिए किसी को अपने सामने खड़ा नहीं होने देना चाहता था। मुख्तार का सीधा फरमान था की जो भी उसके रास्ते में आये उसे गोलियां का शिकार होना होगा। इसी बीच 2004 में मुख्तार के धुर बिरोधी और भाजपा नेता कृष्णानंद राय गाजीपुर जिले  से चुनाव जीत गए। मुख्तार और कृष्णानंद की रंजिश किसी से छिपी नहीं थी। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे थे ऐसे में मुख्तार को अगर किसी चीज की सबसे अधिक जरुरत थी तो वो कृष्णानंद की मौत। अब तक मुख्तार ने मुन्ना को फरमान सुना दिया कि हर हाल में उसे कृष्णानंद की मौत चाहिए। मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची. और  29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर गोलियां बरसाई थी. इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे. पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी. इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी. हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था.
मुंबई में छिपा था  सात लाख का ईनामी, हुई गिरफ्तारीभाजपा विधायक कृषणानंद राय समेत दर्जनों हत्या के मामले का आरोपी मुन्ना बजरंगी अब उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी. इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया. उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के एक नहीं न जाने कितने आरोप थे अब जौनपुर जिले का मुन्ना बजरंगी देश के अपराधियों, डाक्टरों व्यवसायियों सबके लिए बड़ा खौफ बन चुका था . वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा. पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी की कहानी भी अजीबोगरीब थी मुन्ना मलाड को इलाके में छिपकर रह रहा था भेष बदलकर भाग रहा था लोगों से बच रहा था। बजरंगी को पुलिस के साथ-साथ अपने दुश्मनोें से भी खतरा था इसके लिए वह मलाड इलाके में आटो चलाने लगा ताकि किसी को संदेह भी न हो कि यह वही मुन्ना है जिससे दुनियां खौफ खाती है। जब उसके खास लोगों को इस बात की जानकारी लगी तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि कैसे बजरंगी आटो चलाकर इतने बड़े गिरोह को संभाले बैठा है। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।
जब मुन्ना बजरंगी  ने राजनीति में दी दस्तकगिरफ्तारी के बाद तकरीबन चार साल नजरबंद रहने के बाद मुन्ना बजरंगी की राजनीति के उभरने की चाहत जगने लगी सामने था 2012 का विधान सभा चुनाव और तिहाड़ जेल में बंद था मुन्ना बजरंगी मुन्ना कोशिश में लगा था कि सपा का टिकट मिल जाए तो साइकिल के सहारे सत्ता का रास्ता आसान हो। पर सपा को भी अपने दम पर सत्ता में आने का पूरा भरोसा था ऐसे में सपा ने मड़ियाहूं सीट पर मुन्ना को टिकट न देकर श्रद्दा यादव को उम्मीदवार बना दिया। हालांकि मुन्ना ने भी अपना के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया तिहाड़ जेल में बैठकर मुन्ना ने पर्चा भरा चुनाव हुए लेकिन इस बार मुन्ना कामयाब नहीं हो सका यहां मुन्ना बजरंगी को हार मिली और सपा की श्रद्दा यादव चुनाव जीत गईं। गाजीपुर विधायक कृष्णानंद राय हत्या मामले मुन्ना बजरंगी को  मिर्जापुर जिला कारागार से 10 अप्रैल 2013 को प्रशासनिक आधार पर  जिला कारागार सुल्तानपुर में शिफ्ट किया गया था। लेकिन, जिला पंचायत चुनाव की संवेदनशीलता को लेकर शासन के आदेश पर माफिया मुन्ना बजरंगी को सितंबर 2015 में झांसी जेल भेज दिया गया जहां यह खौफनाफ अपराधी अपने किए कि सजा काट रहा है।  लेकिन आज भी लोगों में मुन्ना बजरंगी के नाम की दहशत साफ देखी जाती थी जो आज उसकी हत्या के बाद खतम होगी।

 

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