फरीदाबाद : शहर में 15 से 19 अक्टूबर तक चलने वाले दुर्गा महोत्सव की तैयारियां दुर्गा पूजा समितियों की ओर से जोरों शोरों पर है। पंडालों में भक्तों को 108 भुजाओं वाली रात रूपी मां दुर्गा के दर्शन होंगे। कहीं मां दुर्गा इको फ्रेंडली रूप में नजर आएंगी तो, कहीं पंडालों पर कोलकाता का खुमार चढ़ा दिखाई देगा। इस बार पंडाल में एक खास तरह की लाइट इफेक्ट का इस्तेमाल होगा,
जो एंट्री करते ही हिंदू- मुस्लिम, सिख- ईसाई की एकता की झलक दिखाएगी। सेक्टर 3 में स्थापित होने वाले पंडाल को कोलकाता के बेलुड़ मठ का रूप दिया जा रहा है। पंडाल को तैयार करने के लिए उड़ीसा व पश्चिमी बंगाल से कारीगरों को बुलाया गया है। शहर में इस बार पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित बेलुड़ मठ की झलक देखने को मिलेगी।
इस पंडाल में इस तरह की लाइट लगाई जाएगी कि अंदर में घुसते ही चांद, क्रॉस और सिख का निशान दिखाई देगा। प्रवासी दुर्गा समिति के महासचिव सायोन सरकार के अनुसार 100 फीट चौड़े और 45 फीट ऊंचे पंडाल को बांस द्वारा इको फ्रेंडली तरीके से बनाया जा रहा है। इस पंडाल को बनाने के लिए करीब 50 कारीगर जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि कोलकाता के बेलुड़ मठ में किसी भी धर्म का व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा कर सकता है।
पंडाल में स्थापित होने वाली 108 भुजाओं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा को पश्चिम बंगाल के कलाकार निरंजन द्वारा बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पंडाल व मां दुर्गा की प्रतिमा दोनों ही इको फ्रेंडली होगी। उन्होंने बताया कि फिटकरी से बनाई जा रही इस प्रतिमा के विसर्जन से पानी दूषित नहीं होगा एवं यह पर्यावरण के अनुकूल रहेगी।
सायोन सरकार ने बताया कि इस दुर्गा महोत्सव के दौरान करीब 15 लाखों रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह संस्था का 21वां दुर्गा महोत्सव होगा। इस पूरे खर्च में मूर्ति, पंडाल निर्माण के अलावा सामाजिक कार्य के लिए भी खर्च किया जाएगा।
साथ ही महोत्सव के दौरान घरों में काम करने वाले सेक्टर 3 के करीब 300 जरूरतमंदों को वस्त्र एवं सामान भी भेंट किया जाएगा। समिति प्रधान भावतोष लोड ने बताया कि फरीदाबाद में रह रहे प्रवासी हमारी संस्था से जुड़े हुए हैं। संसद का मुख्य उद्देश्य यहां के लोगों में पश्चिमी बंगाल की संस्कृति को जिंदा रखना है।