मुंबई । इक्विटीज में बैंकों की प्रोपराइटरी ओनरशिप पिछले तीन वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है। इसमें बड़ा योगदान आरबीआई के एक निर्देश का है,जो बैंकों को डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों में अपने कर्ज को इक्विटी में बदलकर उनमें 51 प्रतिशत स्टेक लेने की इजाजत देता है। बैंकों के पास करीब 75000 करोड़ रुपये के स्टॉक्स हैं। हालांकि बाजार में तेजी के बीच भी वे इन शेयरों को वे पूरी तरह भुना नहीं पाए हैं क्योंकि कंपनियों के प्रॉफिट में होने पर ही वैल्यूएशन चढ़ सकता है।
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि कमर्शियल बैंकों का स्टॉक्स एंड शेयर पोर्टफोलियो मई 2018 तक 74307 करोड़ रुपये का था,जो सालभर पहले के लेवल से 26 प्रतिशत ज्यादा था। बैंक प्रोपराइटरी स्टॉक खरीदारी बुक वैल्यू पर करते हैं। इसमें नॉन-एसएलआर इनवेस्टमेंट का एक हिस्सा या ट्रेजरी एसेट्स का एक हिस्सा शामिल होता है। बैंकर ने कहा,बैंकों के पास मौजूद इन अधिकतर शेयर आरबीआई की स्ट्रैटेजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत डेट को इक्विटी में बदलने का नतीजा हैं।
इसी अवधि में मार्केट से खरीदे गए शेयर इनमें काफी कम होगा। आरबीआई ने बैड लोन प्रॉब्लम से निपटने के लिए स्ट्रैटेजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत एक और विकल्प दिया था। जून 2015 में एक नोटिफिकेशन में आरबीआई ने कहा था, जेएलएफ/कॉरपोरेट डेट रिस्ट्रक्चरिंग सेल इस बात पर विचार कर सकता है कि प्रमोटर कंपनी की इक्विटी लेंडर्स को ट्रांसफर करें ताकि लोन के कुछ हिस्से से हाथ धोने की भरपाई की जा सके।’
जून 2015 में बैंकों की प्रोपराइटरी स्टॉक होल्डिंग 38478 करोड़ रुपये पर थी। उसके बाद से यह करीब 93 प्रतिशत बढ़ चुकी है। हालांकि इस स्टॉक पोर्टफोलियो को भुनाने की गुंजाइश बेहद कम है क्योंकि मार्केट में तेजी के बावजूद अधिकतर शेयरों का दाम उनके एक्विजिशन प्राइस से ऊपर नहीं गया है। डेट को इक्विटी में कन्वर्ट करने के लिए आरबीआई की इजाजत मिलने के बाद से बैंकों ने इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड,
अंकित मेटल एंड पावर लिमिटेड, रोहित फेरो टेक लिमिटेड, आईवीआरसीएल लिमिटेड, गैमन इंडिया लिमिटेड, मॉनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड, वीजा स्टील लिमिटेड, लैंको तीस्ता हाइड्रो पावर प्राइवेट लिमिटेड, ज्योति स्ट्रक्चर्स लिमिटेड, अशोक इंडस्ट्रीज लिमिटेड और जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर्स सहित कई कंपनियों में अपने लोन को इक्विटी में कन्वर्ट किया है।