तहलका टुडे टीम
बाराबंकी। अपर जिला जज अशोक कुमार यादव ने हत्या सम्बन्धी एक मुकदमे का फैसला सुनाते हुये तीन आरोपियों को दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया। तीनों अपराधी आपस मे सगे भाई हैं।
मृतक की माँ के लम्बे संघर्ष के बाद घटना के सवा दो वर्ष बाद एफआईआर दर्ज हो सकी थी।
जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता मथुरा प्रसाद वर्मा ने अभियोजन कथानक का व्योरा देते हुए बताया कि वादिनी मायादेवी पत्नी हंसराज निवासी ममरखापुर थाना बद्दुपुर का एकलौता 15 वर्षीय पुत्र पुष्पेन्द्र कुमार था।वह कक्षा नौ का छात्र था। 25 सितम्बर 2010 को शाम करीब छःबजे रमापति पुत्र कल्लू अपने दोनों भाइयों रामानन्द व रमाकांत के साथ पुष्पेन्द्र को बहाने से बुला ले गये थे।वह रात को वापस नही आया,खोज बीन किया लेकिन पता नही चला। सुबह खोजने पर पुष्पेन्द्र की लाश गांव के प्राइमरी स्कूल सालेपुर के रसोई वाले कमरे में फंदे से लटकती मिली थी। तथा उसके पैर भी जमीन से लगे थे। वादिनी थाने रिपोर्ट कराने गयी लेकिन रिपोर्टदर्ज नही की गई,एसपी को भी प्रार्थना पत्र दिया तथा शासन में भी भाग दौड़ की फिर भी रिपोर्टदर्ज नही हो पाई।इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी विकास गोठलवाल को पार्थना पत्र दिया तो उन्होंने इस सम्बन्ध में अपने अधीन एसडीएम पवन कुमार गंगवार से जांच कराई जिसके द्वारा 19 पेज की जांच आख्या जिलाधिकारी को दी जिसमे प्रथम द्दृष्टया एफआईआर दर्ज किये जाने की आवश्यकता बतायी गयी थी।इसके काफी बाद एसपी के आदेश पर 12 दिसम्बर 2012 को वादिनी की एफआईआरदर्ज हो पाई ।25 सितम्बर 2010 को घटित संगीन वारदात की प्राथमिकी सवा दो साल बाद 12 दिसम्बर 2012 को दर्ज हो सकी।इस बीच मृतक की मां वादिनी ने लम्बी भाग दौड़ की।
अन्ततः एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने विवेचना कर रमापति,रामानन्द व रमाकान्त के विरूद्ध आरोप पत्र कोर्ट पर प्रस्तुत किया था।
न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर तीनो आरोपियों को भादस की धारा 302/34, 201/34के तहत दोषी करार देकर प्रत्येक को 30 हजार अर्थ दण्ड व आजीवनकारावास की सजा से दण्डित किया।