महात्मा गांधी और इमाम खुमैनी: दो क्रांतिकारी विचारधाराएँ जिसने साम्राज्यों की नींव हिला दी
तहलका टुडे टीम/सैयद रिज़वान मुस्तफा
भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के किंतूर की आबोहवा से इमाम खुमैनी हिंद फक्र से लिखने वाले ईरानी इस्लामी क्रांति के नेता और संस्थापक ने महात्मा गांधी की अहिंसा और स्वतंत्रता संग्राम की विचारधारा, उस प्रतिबद्धता की सराहना की थी, जिसमें उन्होंने एक शक्तिशाली औपनिवेशिक ताकत के खिलाफ खड़े होकर अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष कर आजाद कर गुलामी से मुक्ति दिलाई थी।
इमाम खुमैनी का महात्मा गांधी के लिए सम्मान
इमाम खुमैनी ने महात्मा गांधी को एक नैतिक और आध्यात्मिक नेता के रूप में देखा, जिन्होंने भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गांधीजी के नैतिक साहस, सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों की प्रशंसा की और उन्हें दुनिया के उत्पीड़ित और शोषित समाजों के लिए एक प्रेरणा माना। इमाम खुमैनी का मानना था कि गांधीजी ने जिस तरह से साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़े होकर लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
ईरानी क्रांति में गांधीजी के सिद्धांतों का प्रभाव
ईरानी क्रांति में महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों का भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव था। ईरानी क्रांति का उद्देश्य पश्चिमी साम्राज्यवाद और शाह की तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ना था, और इस संघर्ष में जनता की भूमिका को मजबूत करने के लिए गांधीजी की शिक्षाओं को एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा गया। महात्मा गांधी ने भारत में जिस तरह से जनता को स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट किया, उसी प्रकार ईरानी जनता को भी क्रांति के समय एकजुट किया गया।
ईरानी क्रांति में महात्मा गांधी के अहिंसक विरोध और साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष की भावना ने जनता को प्रेरित किया, हालांकि ईरान की क्रांति सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से हुई। इमाम खुमैनी का मानना था कि हर समाज को अपनी स्थिति और परिस्थितियों के अनुसार अपने संघर्ष के तरीके चुनने चाहिए, लेकिन गांधीजी का संघर्ष यह दिखाता है कि नैतिक और न्यायपूर्ण आदर्शों के साथ किसी भी संघर्ष को जीता जा सकता है।
इमाम खुमैनी के विचारों में समानताएं
1. औपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष: गांधीजी ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया, और इमाम खुमैनी ने भी पश्चिमी हस्तक्षेप और शाह के शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। दोनों नेताओं ने अपने-अपने देशों में विदेशी प्रभाव और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई।
2. नैतिक और धार्मिक प्रेरणा: गांधीजी ने अपने संघर्ष में धर्म और नैतिकता का सहारा लिया, जबकि इमाम खुमैनी ने भी इस्लाम के नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर लोगों को संगठित किया। दोनों ने आध्यात्मिकता को अपने आंदोलनों का आधार बनाया।
3. जनता की भागीदारी: गांधीजी और इमाम खुमैनी दोनों ही अपने आंदोलनों में जनता की भूमिका को महत्व देते थे। गांधीजी ने सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन के माध्यम से भारतीय जनता को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जबकि इमाम खुमैनी ने भी ईरानी जनता को शाह के खिलाफ क्रांति में सक्रिय भागीदार बनाया।
ईरानी क्रांति में भारत की प्रेरणा
महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी ने दुनिया भर के अन्य स्वतंत्रता संग्रामों को भी प्रेरित किया, जिनमें ईरानी क्रांति भी शामिल है। ईरानी क्रांतिकारियों और आम जनता ने गांधीजी के संघर्ष से यह सीखा कि किसी भी तानाशाही या साम्राज्यवाद को नैतिकता और जनता की एकजुटता के आधार पर हराया जा सकता है। ईरानी क्रांति में जोश गांधीजी की अहिंसा और न्याय की शिक्षाओं ने एक नैतिक आधार प्रदान किया, जिस पर क्रांतिकारी आंदोलन टिका था।
इमाम खुमैनी ने महात्मा गांधी के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया था और उनके संघर्ष को प्रेरणा का स्रोत माना। ईरानी क्रांति में, गांधीजी के सिद्धांतों उनके नैतिक और आध्यात्मिक आदर्शों ने क्रांतिकारी सोच को दिशा दी। गांधीजी की तरह, इमाम खुमैनी ने भी अन्याय, साम्राज्यवाद और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने की शिक्षा दी और जनता को इस संघर्ष में शामिल किया।
यहां कुछ किताबों के संदर्भ दिए गए हैं जो हजरत इमाम हुसैन जिनके बलिदान से सबक लेकर महात्मा गांधी ने आंदोलन छेड़ा, इमाम खुमैनी ने इस्लामी क्रान्ति लाए,इन विचारों और सिद्धांतों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करती हैं:
किताबों के संदर्भ
1. “The Life of Imam Hussain” – सैयद अली नकी नकवी
यह पुस्तक इमाम हुसैन के जीवन और शहादत पर आधारित है, जिसमें उनके सिद्धांतों और बलिदान की गहराई को समझाया गया है।
2. “The Gandhi Reader: A Sourcebook of His Life and Writings” – गांधी सेवा संघ
इस पुस्तक में महात्मा गांधी के विचार, उनके लेख और उनके द्वारा किए गए कार्यों का संकलन है, जो उनके सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को स्पष्ट करता है।
3. “Islamic Revolution: A New Perspective” – इमाम खुमैनी
इमाम खुमैनी की यह पुस्तक उनकी राजनीतिक विचारधारा और ईरानी क्रांति के सिद्धांतों का विवरण देती है, जिसमें गांधी के विचारों का उल्लेख भी है।
4. “The Prophet of Peace: Studies on Muhammad” – इमाम खुमैनी
इस पुस्तक में इमाम खुमैनी ने इस्लाम और उसके मूल सिद्धांतों पर विचार किया है, जिसमें महात्मा गांधी के सिद्धांतों का उल्लेख भी किया गया है।
5. “Hussain: The Saviour of Humanity” – जीना इब्राहीम
यह पुस्तक इमाम हुसैन की शहादत और उसके मानवता पर प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी देती है।
6. “Gandhi and the Challenge of Religious Pluralism” – स्टीफन लिंड
इस पुस्तक में गांधी के विचार और उनके धार्मिक बहुलवाद के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई है।
7. “Gandhi: The Man, His People, and the Empire” – जेन जॉन्सन
यह पुस्तक महात्मा गांधी के जीवन, उनके सिद्धांतों और उनके संघर्षों का समग्र विश्लेषण करती है।
इन पुस्तकों के माध्यम से आप हजरत इमाम हुसैन, महात्मा गांधी और इमाम खुमैनी के विचारों, उनके संघर्षों और उनके सिद्धांतों की गहराई से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ये किताबें आपको उनकी जीवन गाथाओं और उनके द्वारा दिए गए संदेशों को समझने में मदद करेंगी।