ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन से वार्ता कर गाजा में तत्काल युद्धविराम और नाकाबंदी हटाने के लिए अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करने के लिए गुज़ारिश की। तेहरान में सोमवार को भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ कल्बे जवाद नक़वी की मौजूदगी बनी चर्चा

Breaking News CRIME Latest Article Viral News उत्तर प्रदेश धर्म-दर्शन रिश्ते विदेश

भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ कल्बे जवाद नक़वी की तेहरान में मौजूदगी के दौरान ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन से वार्ता कर गाजा में तत्काल युद्धविराम और नाकाबंदी हटाने के लिए भारत को अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करने के लिए गुज़ारिश की

तहलका टुडे टीम

तेहरान, ईरानी राष्ट्रपति आयतुल्लाह इब्राहिम रायसी और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में तत्काल युद्धविराम और नाकाबंदी हटाने का आग्रह किया है।दोनो के बीच सोमवार शाम फ़ोन पर बातचीत हुई है,

आपको ये भी बता दे भारतीय 6 करोड़ शियाओ की नुमाइंदगी कर रहे  भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ कल्बे जवाद नक़वी सोमवार को तेहरान में थे।

ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना के मुताबिक़, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने पीएम मोदी से बातचीत के दौरान कहा कि मध्य पूर्व में जारी इस संघर्ष को रोकने के लिए भारत को अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करना चाहिए.

सोमवार को मोदी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान राष्ट्रपति रायसी ने कहा कि ईरान तत्काल युद्धविराम, नाकाबंदी हटाने और गाजा के उत्पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करने के किसी भी संयुक्त वैश्विक प्रयास का समर्थन करता है।

उन्होंने कहा कि गाजा में अत्याचारों ने दुनिया भर के लोगों को नाराज कर दिया है और अगर नरसंहार जारी रहा, तो इसके अंतर-क्षेत्रीय परिणाम होंगे।
गाजा में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए हालिया अपराधों का उल्लेख करते हुए, राष्ट्रपति रायसी ने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों के पास ज़ायोनी शासन के कब्जे का विरोध करने का वैध अधिकार है, और सभी देशों को उत्पीड़न से मुक्ति पाने के लिए फ़िलिस्तीनी लोगों की लड़ाई का समर्थन करना चाहिए।

उन्होंने ज़ायोनी शासन के लिए व्यापक वित्तीय, हथियार और खुफिया समर्थन के साथ-साथ गाजा पर बमबारी को समाप्त करने के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को वीटो करने के कारण अमेरिका को गाजा में किए गए अपराधों में एक प्रमुख भागीदार बताया।

पश्चिमी उपनिवेशवाद के खिलाफ भारतीय राष्ट्र की लड़ाई के इतिहास और दुनिया में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापकों में से एक के रूप में इसकी स्थिति की याद दिलाते हुए, राष्ट्रपति रायसी ने रेखांकित किया कि भारत से अपेक्षा की जाती है कि वह गाजा के उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ ज़ायोनी अपराध को समाप्त करने के लिए अपनी सभी क्षमताओं का उपयोग करेगा।
अपनी टिप्पणी में, ईरानी राष्ट्रपति ने ईरान-भारत संबंधों को रणनीतिक बताया और इस संबंध में सहयोग विकसित करने और पिछड़ेपन को दूर करने की योजना बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

अपनी ओर से नरेंद्र मोदी ने गाजा में ज़ायोनी शासन के अत्याचारों की निंदा की और फिलिस्तीन में सच्चे और स्पष्ट विकास को समझाने में ईरानी राष्ट्रपति के सहायक और प्रबुद्ध पदों को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत गाजा में जघन्य हमलों को रोकने और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता भेजने के लिए क्रॉसिंग को फिर से खोलने पर जोर देता है।

भारत-ईरान संबंध

हज़ारों बरसो से ईरान और भारत के मित्रता के संबंध रहे है, इसके अलावा ईरान की आबादी 6 करोड़ के बराबर है, मशहद में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम और उनकी बहन मासुमाये क़ुम को अक़ीदत से मानने वाले रिज़वी सादात 6 करोड़ से अधिक  सिर्फ भारत मे है जो हर वर्ष ईरान मुक़द्दस ज़ियारत करने लाखो की संख्या में जाते है।
भारत, ईरान को चावल के अलावा चीनी, मानव निर्मित स्टेपल फ़ाइबर, इलेक्ट्रिक मशीनरी और कृत्रिम आभूषण,ऑटो पार्ट्स,केला और कई तरह के फल ,चाय की पत्ती, कागज़ का निर्यात करता है.

वहीं भारत कच्चे तेल के अलावा ईरान से सूखे मेवे,खजूर,पीपी दाना, कीवी,सेब,जाफरान और कई तरह के केमिकल और कांच के बर्तन ख़रीदता है.

मौजूदा वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2023) के पहले महीने में भारत ने 12.3 करोड़ डॉलर (मुख्य रूप से बासमती चावल) का निर्यात किया जो कि साल -दर-साल के लिहाज से 1.06% की वृद्धि है. लेकिन ईरान का भारत को आयात 7.24% घटकर मात्र 6.9 करोड़ डॉलर रह गया.

अक्तूबर महीने में ऐसी ख़बरें आई थीं कि भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट के संचालन के लिए प्रस्तावित 10-साल के समझौते पर मतभेदों को कम किया जा रहा है.

उम्मीद जताई गई थी कि जल्द दोनों पक्षों की राजनीतिक मंज़ूरी के बाद समझौते पर हस्ताक्षर हो सकता है.

ईरान मकरान तट पर स्थित पोर्ट के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया से चाय, खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण सामग्री और भारी उपकरण जैसे सामानों का ट्रांस-शिपमेंट कर सकता है.

यह पोर्ट भारत के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पश्चिम एशिया और मध्य एशियाई देशों तक भारत की पहुँच मुमकिन करता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *