तहलका टुडे टीम
लखनऊ अयातुल्लाह इमाम खुमैनी (र.अ) की 32वी बरसी के अवसर पर मजलिसे ओलमाए हिंद ने अंतराष्ट्रीय वेबनार का आयोजन किया जिसमे ईरानी राजदूत सहित विभिन्न हस्तियों ने भाग लिया। ये वेबनार “इमाम खुमैनी की क्रांति का सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव” विषय पर आधारित था।
मुख्य अतिथि भारत में ईरान के राजदूत डॉ अली चागिनी ने अपने संबोधन में कहा कि इमाम खुमैनी एक महान व्यक्तित्व के मालिक थे। वो एक वक़्त में मरजा ए तक़लीद ,मुफ़स्सिर ,खतीब ,आलिम ,फ़क़ीह ,महिरे इल्मे कलाम व हदीस ,अज़ीम आरिफ और बुलंद पाया शायर थे। साथ ही अज़ीम इंक़ेलाब के बानी और मैदाने सियासत के माहिर शहसवार थे। उनकी ज़ात सब्र, हिल्म, इनकेसर, इल्म ,अख़लाक़, तवाज़ो और मुजाहेदत का पैकर थे। एक समय में एक व्यक्ति में इतने गुण जमा नहीं होते लेकिन इमाम खुमैनी के अंदर ये सरे गुण मौजूद थे। उनका व्यक्तित्व कुरान की आयतों का दर्पण था। यानि उनको समझना जितना आसान था उतना ही कठिन था। उन्होंने मुसलमानो को एक मंच पर इकट्ठा किया और ताग़ूत के खिलाफ प्रतिरोध का आह्वान किया। वो एक प्रसिद्ध नेता और क्रांतिकारी व्यक्तित्व के मालिक थे। वो किसी सुपर पावर से नहीं डरते थे क्योकि उनके पास सुपर पावर विचारधारा थी जसको हराया नहीं जा सकता।
मौलाना हसनैन बाक़री ने इन्क़िलाबे इमाम खुमैनी के असरात और नताएज पर गुफ्तुगू करते हुए कहा कि इमाम खुमैनी ने कमज़ोरो के ज़रिये और कमज़ोरो के लिए इंक़ेलाब बरपा किया। आज हम इस इंक़ेलाब के असरात पूरी दुनिया में देख रहे है। हमारा फ़र्ज़ है की इस इंक़ेलाब की याद को ताज़ा रखे और औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ और मज़लूमो की हिमायत में आवाज़े एहतेजाज बुलंद करते रहे। खास तौर पर ज़ालिम इजराइल , अमरीका और उनके साथी देशो के ज़ुल्म और आतंकवाद के खिलाफ एक हो और लोगो को जागरूक करे।
आंध्र प्रदेश ओलेमा बोर्ड के अध्यक्ष और क़ाज़ी मौलाना अब्बास बाक़री ने कहा की इमाम खुमैनी ने हर हाल में खुदा पर तव्वक्कुल किया और जो ज़ाते खुदा पर तव्वक्कुल करता है वो हमेशा कामयाब रहता है। वो हमेशा कहते थे की हमारा काम अपनी ज़िम्मेदारी पर अमल करना है नतीजा अल्लाह के हवाले कर देना चाहिए। इसी अक़ीदे के तहत उन्होंने पूरी ज़िन्दगी बसर की और तानाशाही के खिलाफ एक इंक़ेलाब बरपा किया।
ईरान में रह रहे पाकिस्तान के जाने माने शायर जनाब अहमद शहरयार ने इमाम खुमैनी की शान में मन्ज़ूम नज़राने अक़ीदत पेश किया।
मौलाना मीर अज़हर अली अब्दी ने अपने सम्बोधन में इमाम खुमैनी के विचारो पर रौशनी डालते हुए कहा इमाम खुमैनी ने सिर्फ ईरान में मौजूद ढाई हज़ार साला ज़ालिमाना निज़ाम के खिलाफ मज़हमत नहीं की बल्कि दुनिया में जहा भी ज़ुल्म और बर्बरता मौजूद थी उन्होंने उसके खिलाफ भी आवाज़ बुलंद की। उन्होंने सबसे पहले पूरी ताक़त के साथ फिलिस्तीन के मसले को पूरी दुनिया के सामने उठाया।
ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर माहरुख मिर्ज़ा ने इंक़ेलाबी इस्लामी के लिए इमाम खुमैनी के संघर्ष और उनके सियासी और समाजी विचारो पर बात की। उन्होंने कहा जब ज़ुल्म और बर्बरता ने अपनी हदे पार कर दी और ईरान की अवाम के अधिकार छीन लिए गए उस समय इमाम खुमैनी ज़ुल्म के खिलाफ डट गए और मज़लूमो की आवाज़ बन कर सामने आये।
मजलिसे ओलमाए हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना मोहसिन तक़वी ने कहा की अंतराष्ट्रीय स्तर पर इमाम खुमैनी के अफाक़ी शख्सियत ऐसा मक़ाम रखती है जिस से दुनिया ने बहुत कुछ सीखा है और आगे भी बहुत कुछ सीख सकती है उन्होंने नये विचारो और हौसलों के साथ मुसलमानो को बातिल ताक़तों के खिलाफ खड़े होने का सलीक़ा दिया और मज़लूमो की मज़बूत आवाज़ बन कर सामने आये। आज भी दुनिया इस इंक़ेलाब के विचारो की गर्मी को महसूस कर रही है।
मजलिसे ओलमाए हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने अपनी अध्यक्षीय सम्बोधन में इमाम खुमैनी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि इमाम खुमैनी ने ढाई हजार साल पुरानी शहंशाहहियत को हराकर इस्लामी निज़ाम की शुरुआत की जिसे मज़लूमीन के इंक़ेलाब से ताबीर किया जाता है। इंक़ेलाब के वक़्त दो बड़ी ताक़ते मौजूद थी जिनसे जुड़े बिना खुद को तस्लीम करवाना और कामयाबी हासिल करना मुमकिन नहीं था मगर इमाम खुमैनी ने ला शरकिया ला ग़रबिया का नारा बुलंद करते हुए रूस और अमेरिका जैसी बड़ी ताक़तों से इज़हारे बराअत किया और सिर्फ अल्लाह पर भरोसा किया जिसके नतीजे में इन्क़िलाबे ईरान कामयाब हुआ। मौलाना ने कहा कि पूरी दुनिया पर इस इंक़ेलाब का असर हुआ और आज भी दुनिया इन्क़िलाबे इमाम खुमैनी के असर से आज़ाद नहीं हो सकी। मौलाना ने सम्बोधन के आखिर में मुख्य अतिथि भारत में ईरान के राजदूत डॉ. अली चागिनी और दूसरे मेहमानो का शुक्रिया अदा किया।
वेबनार के संयोजक आदिल फराज़ नकवी ने कार्यक्रम की शुरुआत में वेबनार के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए इमाम खुमैनी के राजनीतिक विचारों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इंक़ेलाब की कामयाबी के बाद इस्लाम और मुसलमानो के ख़िलाफ औपनिवेशिक शक्तियों ने जिस तरह विभिन्न विकृत विचारों की यलग़ार की इस से इन्क़ेलाबे इमाम खुमैनी की अज़मत और उसकी तासीर का अंदाज़ा होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किस तरह औपनिवेशिक शक्तिया आज विलायते फक़ीह से हार रही है और इन्क़ेलाबे इस्लामी के दुश्मन को हर मोर्चे पर अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा रहा है।
वेबनार की शुरुआत क़ुरान की तिलावत से क़ारी मुर्तुज़ा हुसैन ने की। निज़ामत को मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी ने अंजाम दिया। निज़ामत करते हुए उन्होंने इमाम खुमैनी के इंक़ेलाबी विचारो पर रौशनी डाली।