1968 से सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज,1969 से बिजली का कनेक्शन,1960 और 1990 के चकबंदी के सरकारी पेपर में दर्ज तहसील मस्जिद को बुलडोज़र से तोड़ने के मामले मे मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर यूपी शासन ने बनाई 3 सदस्यीय जाँच कमेटी,ज़िला प्रशासन की गर्दन फंसी

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तहलका टुडे टीम

लखनऊ-भाजपा सरकार की नीतिया सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास पर काम कर रही योगी सरकार के दिल जीतने वाले कामो को साजिशे रचकर सरकार को बदनाम कर रहे है नौकरशाह वो अधिकारी जिन पर भरोसा कर उनको ज़िले की जिम्मेदारी सौपी गयी थी ,सरकार की साख को झूठ के सहारे अपनी गलतियों को सुधार करने के बजाय झूठ छुपाने के लिये हज़ारो झूठ बोलकर अपनी हट धर्मिता दिखा कर रामसेनही घाट की तहसील मस्जिद को बुलडोज़र से तोड़ कर नई कहानी बना कर मज़लूम बन रहे है।सरकार की भी इस पर सख्त नज़र है,शासन ने Dm के ही लेटर पर 3 सदस्यीय लोगों की कमेटी बनाकर हड़कम्प मचा दिया है।

मालूम हो 100 साल पुरानी मस्जिद 1960 और 1990 के चकबंदी के सरकारी रिकॉर्डो में दर्ज है तहसील मस्जिद के नाम से,वही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के रिकॉर्डो में 1968 से दर्ज है ,1969 से बिजली का कनेक्शन है।किसी भी तरह का कोई विवाद भी नही था।
इस मस्जिद में होती थी देश मे शांति सुकून हर बला आफत से बचने के साथ दिन में 5 वक़्त की नमाज़ पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा करके दुआ
उस मस्जिद की शहादत के बाद माँए गयी तड़प जिन्होंने अपने लाडलो की तबियत खराबी पर सेहत के लिये नमाज़ियों से फुंकवाई थी दुआ
मालूम हो सरकार ने वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए वक़्फ़ एक्ट को संसद और राज्य सभा मे पास नियम कानून जो राष्ट्रपति ने लागू किया था प्रदेश की सरकारों ने संसृति की थी।वही भारत सरकार के अधीन सेंट्रल वक़्फ़ कौंसिल,केंद्रीय मंत्री, प्रदेश में कैबिनेट मंत्री,शिया और सुन्नी वक़्फ़ बोर्डो के गठन के साथ किसी भी तरह के विवाद पर ,वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है वही जिलाधिकारी को वक़्फ़ आयुक्त और Sdm को तहसील स्तर पर आयुक्त की ज़िम्मेदारी दी गयी,वही अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की सहायक अपर सर्वे वक़्फ़ आयुक्त और एक वक़्फ़ इंस्पेक्टर की ज़िम्मेदारी के तहत नियुक्तिया कर औकाफ को बचाने और उनकी तरक्की की मुहिम चला रक्खी है,और यही नही वक़्फ़ की संपत्ति पर विकास के लिए वक़्फ़ विकास निगम भी बना रखा है।सरकार की बेहतरीन वक़्फ़ बचाने और सवारने की मुहिम और एक्ट की धज्जिया उड़ाते हुए कारोना काल मे हाइकोर्ट के सभी तरह के ध्वस्तीकरण के रोक के बाद भी मस्जिद के आसपास के इलाके को सील कर चला दिया गया बुलडोज़र ,और रातो रात सारा मलवा हटा कर कई PAC बटालियन का पहरा लगा दिया गया,पत्रकारो को भी ज़लील किया गया कैमरे से तस्वीरों को डिलीट करवा दिया गया।और मौके पर जाने पर पूरी पाबंदी लगा दी गयी।

भाजपा के अयोध्या सांसद लल्लू सिंह,इलाके के विधायक सतीश शर्मा,रामसनेही घाट के रहने वाले बाराबंकी भाजपा के ज़िलाअध्य्क्ष अवधेश श्रीवास्तव तहसील प्रशासन की इस कार्यवाही से खुश नही दिखे ,बल्कि अंदर ही अंदर दुखी और घुटते हुए दिखे।

अब प्रशासन की कहानी और Dm आदर्श कुमार का बयान चर्चा का विषय बन गया राजस्व रिकॉर्डो को ताक पर रखकर रामसनेही घाट परिसर में बनी मस्जिद को विवादित स्थल बताक़र लॉकडाउन में तुड़वाकर मलबा हटवा दिया है. ज़िलाधिकारी ने बयान में उस विवादित स्थल को अवैध परिसर बताया था.
बता दें कि रामसनेहीघाट के एसडीएम दिव्यांशु पटेल के सरकारी आवास के सामने बने विवादित धार्मिक स्थल में रहने वालों लोगों को नोटिस दिया गया था.

पिछले साल लॉक डाउन में फंसे कुछ गरीब लोग जो मस्जिद में रहकर अज़ान देते थे नमाज़ पढ़ते थे उन पर दबाव डरा धमकाकर भगा दिया गया और कहा गया यहां रहने वाले तीन संदिग्ध लोग बिना आईडी के दिये फरार हो गए. इसके बाद एसडीएम ने तहसील में लगे धार्मिक स्थल के गेट को हटवा कर बाउंडरी बनाकर अपने कब्जे में ले लिया था. तहसील प्रशासन द्वारा धार्मिक स्थल में रहने वालों को नोटिस मिलने के बाद पक्षकार हाई कोर्ट की शरण में भी गए थे. कुछ दिन बाद प्रदर्शन कर रहे लोगो पर Fir कर NSA लगा दिया गया था।

लेकिन हक़ीक़त ये है कि मस्जिद पर बुलडोज़र चलाकर तोड़ने के बाद किसी तरह रिएक्शन के बजाय सिर्फ आँसू बहा का ग़म मना रहे है और मस्जिद के लिए दुआ और ये हरकत करने वालो को मिले सज़ा की ईश्वर से माँग कर रहे है।और सरकार से भी इंसाफ की मांग कर रहे है

जिलाधिकारी बाराबंकी द्वारा शासन में भेजे गये पत्र में अनाड़ी नियम कानून कायदे ना जानने वाले Sdm दिव्यंशु पटेल की गलतियों और लापरवाहियों को दरकिनार कर रामसनेही घाट तहसील परिसर प्रकरण में मस्जिद की शासकीय संपत्ति पर अनियमित तरीके से अवैध इकाई का निर्माण करने और इसके संदर्भ में फर्जी अभिलेखों के आधार पर पंजीकरण कराए जाने की जांच की मांग की थी

इंटरनेशनल मीडिया में चर्चें के बाद पूरे मामले में प्रशासन ने आव देखा ना ताव अपनी कमियों को छूपाने के लिए मस्जिद शहीद करने के बाद पॉलिटिकल पार्टियों के ज्ञापन के बाद मस्जिद कमेटी के 8 लोगो के खिलाफ FIR करा दी,और यही नही 5 लोगो को संदिग्ध बताकर गिरफ्तार कर लिया,

इस पर शासन ने एक कमेटी के बनाई जिसके अध्यक्ष शिवाकान्त द्विवेदी (विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ यूपी शासन) हैं. वहीं बाकी दो सदस्य के तौर पर राहुल गुप्ता उप निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण लखनऊ मंडल, लखनऊ और उप निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण अयोध्य मंडल, अयोध्या को भी कमेटी का हिस्सा बनाया गया है. इस जांच समिति से इस मामले की गहराई से जांच करने को कहा गया है.

ज़िला प्रशासन की ज़िले में कई वक़्फो पर अवैध कब्ज़ों और दुकानो का वक़्फ़ माफियाओ द्वारा किया जा रहा अवैध निर्माण पर खामोशी जग जाहिर है और इस पर कार्यवाही ना करना चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

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