हृदय रोगी कैसे अपने को बचाये,कोविड-19 में हार्ट अटैक से -डॉ रेहान काज़मी

लाइफस्टाइल सेहत

तहलका टुडे हेल्थ डेस्क

कोविड-19 की जानलेवा दूसरी लहर युवाओं को ज्यादा प्रभावित कर रही है और कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को हार्ट डिजीज की कोई हिस्ट्री न होने के बाद भी हार्ट अटैक आया है। युवा मरीजों में यह मामले पल्मोनरी एलेमा (फेफड़ों में अधिक फ्लुइड) होने से सामने आ रहे हैं। इस वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है और रेस्पिरेटरी ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं।
इसी तरह एक्यूट मायोकार्डिटिस होने का खतरा बढ़ जाता है, जो कि हार्ट मसल्स में होने वाली सूजन है। इस केस में मरीज के जीवित रहने की संभावना काफी कम हो जाती है। जिन लोगों को पहले से हार्ट डिजीज है, उनमें कोविड-19 से रिकवर होने के बाद दिल में सूजन और खून के थक्के जमने की समस्या बढ़ जाती है।

कोरोना से रिकवर होने के दौरान कई मरीजों को हृदय के रोग हो रहे हैं और कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की वजह से जान जा रही है। हेल्थ एक्सपर्ट कह रहे हैं कि कोरोना के इलाज के दौरान कई दवाएं दी जा रही हैं, जो खून के थक्के भी बना सकती हैं। पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सबके साथ नहीं हो रहा। रिकवरी के दौरान सावधानी रखी जाए तो मरीज की जान को कोई खतरा नहीं है।

कुछ स्टडी के अनुसार जिन लोगों को पहले से हार्ट डिजीज या डायबिटीज है, उनमें से 15-20 प्रतिशत को ही समस्याएं बढ़ रही हैं। इनमें से 5% को हार्ट अटैक आने का खतरा है। पर सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं को हो रहा है, जिन्हें पहले हार्ट से जुड़ी कोई बीमारी नहीं रही है या उन्हें लक्षणों के अभाव में इसकी जानकारी ही नहीं हुई है। कोरोना इन्फेक्शन से रिकवरी के दौरान सामने आ रहे इन लक्षणों को समझने और समय पर इलाज के लिए डॉ रेहान काज़मी बता रहे है-

क्या सीने में दर्द कोविड-19 से जुड़े हार्ट डिजीज का एक लक्षण है?

हां। कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों के सीने में दर्द एक आम शिकायत बन गई है। जिन्हें माइल्ड यानी बहुत ही हल्के लक्षण हैं, वह भी सीने में दर्द की शिकायत कर रहे हैं। दरअसल, यह समझना होगा कि कोविड-19 इन्फेक्शन अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होता है- माइल्ड, मॉडरेट या गंभीर।
दरअसल, कोविड-19 इन्फेक्शन की वजह से फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जिसका असर हार्ट पर भी पड़ता है। जो लोग पहले से किसी न किसी हार्ट डिजीज से जूझ रहे हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है। उनकी धमनियों (आर्टरी) में ब्लॉकेज हार्ट अटैक तक जा सकता है।
कोविड-19 से जूझ रहे ऐसे मरीजों को बहुत तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। इसकी वजह सूजन भी हो सकती है। कुछ मामलों में यह श्वांस लेना भी मुश्किल कर सकती है। कोरोना वायरस रोगियों में दिखने वाली आम समस्या है फेफड़ों का फाइब्रोसिस, जिससे ऑक्सीजन सेचुरेशन प्रभावित होता है।

कोविड-19 के बाद ह्दय संबंधी विकारों को कैसे पहचानें?

कोरोना से रिकवर होने के दौरान कई लक्षण रिपोर्ट हुए हैं। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। कोविड-19 के बाद थकान आम लक्षण है, जो किसी भी अन्य गंभीर बीमारी की तरह ही है। लोग सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, घबराहट भी महसूस कर सकते हैं।
यह सभी समस्याएं हार्ट डिजीज से जुड़ी हो सकती हैं। पर बहुत गंभीर बीमार होने के बाद के आफ्टर इफेक्ट्स, लंबे समय तक निष्क्रिय रहना और बिस्तर पर कई हफ्ते बिताना भी इसकी वजह हो सकता है। वैसे, कोरोना मरीजों को कंपकंपी, बेहोशी, सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होती है तो यह हार्ट डिजीज का इशारा हो सकता है।

कोविड-19 के बाद अगर ह्दय संबंधी कोई लक्षण दिखता है तो क्या करें?

लक्षण गंभीर होने पर डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, खासकर सांस की तकलीफ के मामले में। सांस लेने में कठिनाई हमेशा एक गंभीर समस्या का संकेत नहीं है, पर ऑक्सीजन सेचुरेशन के कम स्तर (90% से कम) के साथ इसका होना चिंताजनक है। सीने में दर्द फेफड़ों की सूजन के कारण भी हो सकता है। सीने में उठा अचानक और तेज दर्द फेफड़े में खून के थक्के (पल्मोनरी एम्बॉलिज्म) के कारण भी हो सकता है।
कुछ स्टडीज में लोग कोविड से रिकवर होने के बाद डायबिटीज से डायग्नोस हो रहे हैं।

हां। यह देखा गया है कि लोग टाइप-2 डाइबिटीज से डायग्नोस हो रहे हैं। कोविड-19 हार्ट मसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे हार्ट के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह इन्फेक्शन धमनियों और शिराओं की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे इनमें सूजन और खून के धक्के जम रहे हैं। यह शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकता है।

क्या कोविड मरीजों पर खून को पतला करने की दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है?

हां। कोविड-19 के गंभीर केसेज में खून के थक्के जमने की समस्या देखने को मिली है। स्टेरॉयड्स और खून को पतला करने वाले ब्लड थिनर का इस्तेमाल इलाज के तौर पर हो रहा है। स्टेरॉयड्स में सूजन कम करने के गुण होते हैं, वहीं ब्लड थिनर खून के थक्के जमने से रोकते हैं।
समस्या के आधार पर इन दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है। यह भी पाया गया है कि ब्लड थिनर के इस्तेमाल से कुछ मरीजों में रिकवरी अच्छी रही है। हालांकि यह सलाह दी जाती है कि अगर कोई ब्लड थिनर का इस्तेमाल कर रहा है तो वैक्सीन लगाते समय इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।

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