जो ताक़ते अल्लाह से टकराने की कोशिश करती हैं ज़मीं में धस जाया करती हैं
अमल व अक़ीदा अच्छा होता है तो नतीजा अच्छा होता है
तहलका टुडे टीम/सरवर अली रिज़वी
बाराबंकी । मौलाना कल्बे सादिक़ आखरी वख्त तक इंसानियत को कामयाबी की तरफ़ ले जाने की कोशिश में रहे । इन्सान जब तब्दीली चाहता है तो अल्लाह तौफीके तब्दीली देता है । यह बात मौलाना जाबिर जौरासी साहब ने मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मज्लिसे तरहीम हकीमे उम्मत डा 0 कल्बे सादिक़ साहब को खिराजे अक़ीदत पेश करते हुये कही ।उन्होने यह भी कहा कि अल्लाह किसी क़ौम की हालत तब तक नहीं बदलता जब तक क़ौम खुद न बदलना चाहे ।अमल व अक़ीदा अच्छा होता है तो नतीजा अच्छा होता है ।जो ताक़ते अल्लाह से टकराने की कोशिश करती हैं ज़मीन में धस जाया करती हैं ।इल्म के ज़रिये दीन व दुनियां दोनों हासिल करें ,यही पैगाम दे गये कल्बे सादिक़ ।
मौलाना इब्ने अब्बास ,मौलाना हिलाल व मौलाना अली मेहदी ने अपने अपने तास्सुरात पेश करते हुए कहा कि उनकी सच्ची खिराजे अक़ीदत तभी होगी जब हम उनके मिशन को आगे बढ़ाएँ।उनके उसूलों को अमली जामे के साथ अपनाये।
- आखिर में बीबी फातिमा ज़हरा स. व कर्बला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रोने लगे । मजलिस का आगाज़ तिलावते कलामे पाक से तालिब महदी ज़ैदी ने किया ।
मजलिस से पहले अजमल किन्तूरी ने नज़रानये अक़ीदत पेश करते हुये पढ़ा –
अजब मिजाज़ का मालिक था वो खुदा की कसम ,
खुद आईना था मगर पत्थरों से लड़ता रहा ।
मुजफ्फर इमाम ने पढ़ा-
इल्म की बात सदा करते रहे मिम्बर से ,
जेहेल के सामने दीवार थे कल्बे सादिक़ ।
हाजी सरवर अली करबलाई ने पढ़ा-
हक़ बयानी से लिया काम ना बातिल से डरे ,
हूबहू मीसमे तममार थे क्लबे सादिक़ ।
निज़ामत के फराएज़ बेहतरीन अन्दाज़ में अजमल किन्तूरी ने अंजाम दिये ।
बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।