Pm मोदी ने बनारस में लगवाए सेब के पेड़ तो बाराबंकी में किसान जगन्नाथ ने लीची अमरूद नाशपाती के बाद अब शुरू कर दिया सेब की बागवानी,हैदरगढ़ की आबोहवा ला रही है कृषि में एक नई क्रांति

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तहलका टुडे टीम /कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)

बाराबंकी। 5 वर्षों तक नाशपती एवं लीची के पेड़ों की सेवा करके फल पाने वाले जागरूक किसान जगन्नाथ सिंह ने सेबों की भी बागवानी तैयार करने में पूरी ताकत झोंक दी है। वह आज अमरूद एवं लीची तथा नाशपती जैसे फलों को बेचकर तमाम किसानों के लिए उदाहरण बन गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा बनारस में 500 सेब के पेड़ों को लगाए जाने की खबर को जानकर उनका इरादा भी पक्का हो गया। खास बात यह भी है कि जगन्नाथ सिंह को ना तो किसी सरकारी अधिकारी का मार्गदर्शन मिला और ना ही सरकार के नुमाइंदों की कोई मदद!

हम बात कर रहे हैं हैदरगढ़ तहसील क्षेत्र के विकास खंड त्रिवेदीगंज के गांव सरैया मजरे तेजवापुर में रहने वाले 60 वर्षीय जगन्नाथ सिंह की। लगभग साढे 4 बीघा कृषि भूमि में जगन्नाथ सिंह ने फल बागवानी की जो तस्वीर सार्थक की है उसे देख कर लोग हतप्रभ रह जाते हैं। क्योंकि इस जागरूक फल किसान ने कड़ी मेहनत एवं अथक धैर्य तथा संयम के साथ ऐसा कारनामा कर दिखाया है। जिसे करने के लिए सोचने पर ही लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं ।

जगन्नाथ सिंह आज अपनी भूमि पर लीची तथा नाशपती बेच कर हजारों रुपए कमा भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि फल बागवानी की इच्छा उन्हें लगभग 10 साल पहले उस समय लगी जब वे रायबरेली अपने एक मित्र के गांव गए थे। इसके बाद वह मन को पक्का करके इस फल खेती में जुट गए। जगन्नाथ सिंह सबसे पहले नाशपती तथा लीची के पेड़ों को लगाया। वह बताते हैं कि नाशपती तथा लीची के पेड़ों को तैयार करने के बाद लगभग 5 वर्षों तक उन्हें इन पेड़ों से फलों की प्राप्ति नहीं हुई। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार ऐसा दिन भी आया जब नाशपाती का पेड़ भी फलों की पैदावार करने लगा और लीची का पेड़ भी।

जागरूक फल किसान ने 15 सौ वर्ग मीटर में एप्पल बेर तथा 15 सौ वर्ग मीटर में लीची, 17सौ वर्ग मीटर में नाशपाती व 1000 वर्ग मीटर में सेब एवं आम की बाग लगाया है ।

उन्होंने सेब के पेड़ों को हिमाचल प्रदेश की एक नर्सरी से मंगाया है। उनका कहना है कि 50 डिग्री के तापमान में सेब का पेड़ चलेगा ऐसा मेरा विश्वास है। जगन्नाथ सिंह ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बनारस में सेब के पेड़ों को लगवाया और उन्होंने जाना तभी से उनकी प्रेरणा को और भी मजबूती मिली। उन्होंने सोचा कि जब बनारस में सेब के पेड़ तैयार हो सकते हैं तो बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील के गांव सरैया मजरे तेजवापुर में क्यों नहीं। इसके बाद उनका विश्वास और दृढ़ होता गया।

साठ वर्षीय जागरूक किसान के इस अभियान में संबल बने उनके पुत्र चंद्रप्रताप सिंह एवं सहयोगी दुबरी भाई। अब तो जगन्नाथ सिंह फलों के पेड़ों की कलम भी तैयार कर रहे हैं। उनकी बाग में 175 पेड़ अमरूद के हैं जो 3000 वर्ग मीटर में लगकर फलों की पैदावार कर रहे हैं। जगन्नाथ सिंह अपनी खेती में मस्त हैं। उनका कहना है कि किसान फलों की बागवानी करके अच्छी रकम कमा सकते हैं। उन्होंने पूछने पर कहा कि मुझे सरकार अथवा कृषि विभाग से कभी भी कोई मदद नहीं मिली। पूर्णतया शिक्षित एवं जगदम्बा बख्श सिंह इंटर कॉलेज के प्रबंधक जगन्नाथ सिंह जब भी पेड़ों को लाते हैं तो उनके काफी पेड़ किसानों में बढ़ जाते हैं। उन्हें पेड़ों को बांटने के बाद असीम खुशी भी मिलती है।

ग्राम बसंतपुर के सूर्य प्रकाश तथा लोदीपुर के पुष्पेंद्र यादव जेलर, श्री कृष्ण पुर के शशिकांत अवस्थी, बुढ़नापुर के अजय मिश्रा एवं अन्य गांव के तमाम क्षेत्रीय किसान कहते हैं कि जगन्नाथ दादा ने फलों की बढ़िया सी बगवानी करके किसानों को एक सीख दी है कि वह परंपरागत खेती से अलग हटकर फलों की खेती को भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर आज फल किसान जगन्नाथ सिंह सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। अब सरकार अथवा प्रशासन के बड़े अधिकारी कहां पर किसानों को आगे ले जा रहे हैं यह तो वही जाने लेकिन सरैया मजरे तेजवापुर में एक शिक्षित किसान अपनी मेहनत की बदौलत सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है।

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