ईश्वर के महबूब अहलेबैत को दिलो जान से चाह कर इनकी नीतियों पर अमल करने वाला ऐसा हिंदुस्तानी जिसने इल्म सीखने और गरीबो की मदद करने में कर दी अपनी संपत्ति क़ुर्बान, बन गया देश का सबसे बड़ा दानी,जिसे फख्र से कहता है सारा ज़माना अज़ीम प्रेम जी

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रिज़वान मुस्तफ़ा/तहलका टुडे टीम

मुम्बई-चैरिटी न करते तो देश के अमीरों में दूसरे नंबर पर होते दानवीर अजीम प्रेमजी
6.6 अरब डॉलर की दौलत के मालिक अजीम प्रेमजी कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए भी 1125 करो़ड़ रुपये का दान किया है। बीते साल ही अजीम प्रेमजी ने 16 अरब डॉलर की अपनी दौलत चैरिटी के लिए दी थी।
आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन और देश के दिग्गज कारोबारी अजीम प्रेमजी भले ही दौलत के मामले में दुनिया के टॉप 100 लोगों में से नहीं हैं, लेकिन दानियों की लिस्ट में उनका मुकाम कहीं ऊंचा है। 6.6 अरब डॉलर की दौलत के मालिक अजीम प्रेमजी कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए भी 1125 करो़ड़ रुपये का दान किया है। बीते साल ही अजीम प्रेमजी ने 16 अरब डॉलर की अपनी दौलत चैरिटी के लिए दी थी। इस दान के साथ ही वह भारत में अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर से खिसककर 17वें नंबर पर पहुंच गए थे। अजीम प्रेमजी ने अपनी जो दौलत दान की थी, वह उनकी कुल संपत्ति के 75 फीसदी के बराबर थी।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल भारतीय अरबपतियों की दौलत 23 फीसदी कम होते हुए 406 अरब डॉलर से घटकर 313 बिलियन डॉलर ही रह गई। दौलत के आंकड़े में इस कमी की वजह अजीम प्रेमजी की ओर से इतनी बड़ी चैरिटी किया जाना भी है। 1966 में 21 साल की उम्र में अमेरिका की स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से कर लौटे अजीम प्रेमजी बीते 33 सालों से विप्रो को आगे बढ़ाने के काम में जुटे हुए हैं।
अजीम प्रेमजी का स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी से लौटने का भी दिलचस्प किस्सा है। दरअसल पिता एम.एस. हाशम प्रेमजी के निधन के चलते उन्हें कारोबार संभालने के लिए पढ़ाई बीच में ही छोड़कर लौटना पड़ा था, लेकिन इसके 34 साल बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन किया।
भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए अहम योगदान देने वाले अजीम प्रेमजी को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है। 1966 में भारत वापस आने के बाद प्रेमजी विप्रो ने साबुन और वेजिटेबिल कारोबार करने वाली अपने पिता की कंपनी वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड को संभाला जो सनफ्लॉवर वनस्पति ब्रांड नाम से खाने का तेल और कपड़े धोने का साबुन बनाती थी। इसी कंपनी के नाम को छोटा करते हुए विप्रो (WIPRO) किया गया था। 1980 के समय में आईटी सेक्टर में दिख रही संभावनाओं को देखते हुए अजीम प्रेमजी ने विप्रो की स्थापना की थी।

अज़ीम हाशिम प्रेमजी एक भारतीय उद्योगपति, निवेशक और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो के अध्यक्ष हैं। वे भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं और सन 1999 से लेकर सन 2005 तक भारत के सबसे धनि व्यक्ति भी थे। वे एक लोकोपकारी इंसान हैं और अपने धन का आधे से ज्यादा हिस्सा दान में देने का निश्चय किया है। एशियावीक ने उन्हें दुनिया के टॉप 20 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया और टाइम मैग्जीन ने दो बार उन्हें दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया है। अजीम प्रेमजी ने अपने नेतृत्व में विप्रो को नई ऊंचाइयां दी और कंपनी का कारोबार 2.5 मिलियन डॉलर से बदकार 7 बिलियन डॉलर कर दिया। आज विप्रो दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर आईटी कंपनियों में से एक मानी जाती है। फोर्ब्स मैग्जीन ने उन्हें दुनिया के साबसे अमीर व्यक्तियों की सूचि में उनका नाम शामिल किया है और उन्हें ‘भारत का बिल गेट्स’ का खिताब दिया है।

प्रारंभिक जीवन
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के एक निज़ारी इस्माइली शिया मुस्लिम परिवार में हुआ। इनके पूर्वज मुख्यतः कछ (गुजरात) के निवासी थे। उनके पिता एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे और ‘राइस किंग ऑफ़ बर्मा’ के नाम से जाने जाते थे। विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्नाह ने उनके पिता को पाकिस्तान आने का न्योता दिया था पर उन्होंने उसे ठुकराकर भारत में ही रहने का फैसला किया। सन 1945 में अजीम प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में ‘वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ की स्थापना की। यह कंपनी ‘सनफ्लावर वनस्पति’ और कपड़े धोने के साबुन ’787’ का निर्माण करती थी।
उनके पिता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उन्हें अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय भेजा पर दुर्भाग्यवश इसी बीच उनके पिता की मौत हो गयी और अजीम प्रेमजी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत वापस आना पड़ा। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी।
भारत वापस आकर उन्होंने कंपनी का कारोबार संभाला और इसका विस्तार द्दोसरे क्षेत्रों में भी किया। सन 1980 के दशक में युवा व्यवसायी अजीम प्रेमजी ने उभरते हुए इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के महत्त्व और अवसर को पहचाना और कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया। आई.बी.एम. के निष्कासन से देश के आई.टी. क्षेत्र में एक खालीपन आ गया था जिसका फायदा प्रेमजी ने भरपूर उठाया। उन्होंने अमेरिका के सेंटिनल कंप्यूटर कारपोरेशन के साथ मिलकर मिनी-कंप्यूटर बनाना प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार उन्होंने साबुन के स्थान पर आई.टी. क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित किया और इस क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित कंपनी बनकर उभरे।
लोकोपकारी कार्य
सन 2001 में उन्होंने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ की स्थापना की। यह एक गैर लाभकारी संगठन है जिसका लक्ष्य है गुणवत्तायुक्त सार्वभौमिक शिक्षा जो एक न्यायसंगत, निष्पक्ष, मानवीय और संवहनीय समाज की स्थापना में मददगार हो। यह फाउंडेशन भारत के लगभग 13 लाख सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के लिए काम करता है। यह संगठन वर्तमान में कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश की सरकारों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। सन 2010 में, अजीम प्रेमजी ने देश में स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए लगभग 2 अरब डॉलर दान करने का वचन दिया। भारत में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा दान है। कर्नाटक विधान सभा के अधिनियम के तहत अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय भी स्थापित किया गया।
द गिविंग प्लेज’
वॉरेन बफेट और बिल गेट्स द्वारा प्रारंभ किया गया ‘द गिविंग प्लेज’ एक ऐसा अभियान है जो दुनिया के सबसे धनि व्यक्तियों को अपनी अकूत संपत्ति का ज्यादातर भाग समाज के हित और परोपकार के लिए दान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। अजीम प्रेमजी इसमें शामिल होने वाले पहले भारतीय हैं। रिचर्ड ब्रैनसन और डेविड सैन्सबरी के बाद वे तीसरे गैर अमेरिकी व्यक्ति हैं। सन 2013 में उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने अपनी कुल संपत्ति का लगभग 25 प्रतिशत दान में दे दिया है और 25 प्रतिशत अगले पांच सालों में करेंगे।
पुरस्कार और सम्मान

बिजनेस वीक द्वारा प्रेमजी को महानतम उद्यमियों में से एक कहा गया है

सन 2000 में मणिपाल अकादमी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया सन

सन 2005 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया

2006 में ‘राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान, मुंबई, द्वारा उन्हें लक्ष्य बिज़नेस विजनरी से सम्मानित किया गया

2009 में उन्हें कनेक्टिकट स्थित मिडलटाउन के वेस्लेयान विश्वविद्यलाय द्वारा उनके उत्कृष्ट लोकोपकारी कार्यों के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया

सन 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया

सन 2013 में उन्हें ‘इकनोमिक टाइम्स अचीवमेंट अवार्ड’ दिया गया

सन 2015 में मैसोर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया

निजी जीवन

अजीम प्रेमजी का विवाह यास्मीन के साथ हुआ और दंपत्ति के दो पुत्र हैं – रिषद और तारिक। रिषद वर्तमान में विप्रो के आई.टी. बिज़नेस के ‘मुख्य रणनीति अधिकारी’ हैं।

 

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