अमेरिका इज़राईल की फूट डालो मार डालो और तेल पर कब्ज़ा करो फार्मूला हुआ तहलका टुडे की खबर से बेनकाब,ईरान और इराक के नेताओ में हुई बात,जन आंदोलन समाप्त,PM अब्दुल मेहदी करेंगे जल्द सुधार

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इंटरनेशनल डेस्क

बग़दाद में बीते दिनों जो बैठक हुई और जिसमें ईरान की अलक़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलैमानी भी शामिल हुए इसी तरह सभी संसदीय दलों के नेताओं जैसे मुक़तदा सद्र, अम्मार हकीम, हादी आमेरी, आयतुल्लाह सीस्तानी के बेटे मुहम्मद रज़ा सीस्तानी ने भाग लिया, वह अभूतपूर्ण बैठक थी।

मालूम हो तहलका टुडे ने 4 नवंबर को “इराक पर शैतान का साया? आयतुल्लाह सिस्तानी ,हसन नसरुल्लाह ,मुक़्तदा सद्र की हत्या का इज़राईल अमेरिका का इरादा,बुना ताना बाना”
“सऊदी अरब के बाद पूरी दुनिया के मुसलमानो के लिए अक़ीदत इबादत और दुआ का केंद्र बिंदु पर जालिमो की नदीदी नज़र”
शीर्षक से रिज़वान मुस्तफ़ा की रिपोर्ट जिसमे कहा गया था हज़रत इमाम मेहंदी (अ फ़) के नुमाईन्दे आयतुल्लाह सिस्तानी किबला और सिपाहे मेहदी के कमांडर मुक़्तदा अल सद्र, हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरुल्लाह की हत्या कराने के लिये शैतान को आका मानने वाले इज़राईल अमेरिका ने सोशल मीडिया के सहारे इराक़ लेबनान में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ मुहिम सरकार विरोधी प्रदर्शनो को हवा और असलहा देकर बगावत पैदा करवाने की साज़िश को एक बार फिर रच कर पूरी दुनिया मे इंसानियत को पसंद करने वाले लोगो की लानत और निंदा का विषय बन गया है।

ये खबर हिंदी में ज़रूर थी लेकिन इसका अरबी फारसी और इंग्लिश में ट्रांसलेशन जमकर वायरल हुआ जो इराक,ईरान और लेबनान में आग की तरह फैल गया जिसका असर ये रहा की
इसमें इराक के सारे दल एकजुट हुए और उन्होंने मिलकर आदिल अब्दुल महदी की सरकार का समर्थन करने का निर्णय किया। फ़ैसला किया गया कि देश में हो रहे प्रदर्शनों को रोका जाए वरना अराजकता फैलेगी और अमरीका, इस्राईल और सऊदी अरब को हस्तक्षेप करने का मौक़ा मिलेगा। इन तीनों के हस्तक्षेप की बात ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला ख़ामेनई ने भी कही थी।

इराक़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों के पास अब दो रास्ते हैं या तो वह लगातार प्रदर्शन करते रहें और सुरक्षा बलों का सामना करें या फिर भारी नुक़सान से बचने के लिए प्रदर्शनों को रोक दें और उसी पर संतोष करें जो उन्हें अब तक मिला है। प्रदर्शनों के माध्यम से उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर सरकार के भीतर हिस्सेदारी दिए जाने की व्यवस्था पर गहरा आघात लगाया है। प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल महदी ने वादा किया है कि वह सांप्रदायिक आधार पर साझेदारी को समाप्त करते हुए मंत्रिमंडल में बदलाव करेंगे और चुनावी क़ानून भी बदलेंगे। उन्होंने यह भी वादा किया कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे, न्यायपालिका में सुधार करेंगे, ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले हर परिवार को आर्थिक सहायता देंगे और भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ ठोस कार्यवाही करेंगे।

इस बैठक और सहमति का विरोध बस एक ही गुट ने किया है जिसका नाम अन्नस्र एलायंस है और जिसका नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी करते हैं। अलएबादी अमरीका के समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने अमरीका की ओर से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन किया था जिसके नतीजे में उन्हें सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा।

प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल महदी ने एक लंबा बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने बहुत नर्म स्वर अपनाया है और प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए वादा किया है कि प्रदर्शनों को हिंसक रूप देने वालों को सज़ा दी जएगी।

अभी तो कुछ कह पाना कठिन है कि आने वाले दिनों में क्या होगा लेकिन रिपोर्टों से पता चला है कि सुरक्षा बलों ने जिन चार पुलों पर प्रदर्शनकारियों का नियंत्रण था उनमें से तीन को ख़ाली करवा लिया है और अब कोशिश की जा रही है कि जो भी प्रदर्शन होना है वह तहरीर स्क्वायर पर हो पूरे शहर में अराजकता का माहौल पैदा न हो।

अब तक इराक़ के पटल पर ईरान ने अपने प्रभाव का दम ख़म दिखाते हुए अमरीकी कोशिशों को नाकाम बनाया है और अपनी क्षेत्रीय स्थिति और अधिक मज़बूत कर ली है। ईरान ने परमाणु समझौते की प्रतिबद्धताएं कम करने का चौथा चरण भी शुरू कर दिया है। ईरान ने हुरमुज़ स्ट्रेट के पास एक ड्रोन भी मार गिराया है जिसके बारे में ख़बरें हैं कि यह इस्राईली ड्रोन है जो बहरैन से उड़ा था।

जिस तरह ईरान ने अमरीका के प्रभाव का रास्ता बंद करने और संभावित झड़पों को रोकने के लिए इराक़ में सफलता के साथ अपना कार्यक्रम पूरा किया है उसी तरह लेबनान में भी उसे सफलता मिलने जा रही है। हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने भी सअद हरीरी की सरकार के त्यागपत्र का विरोध किया था क्योंकि उनका मानना है कि राजनैतिक शून्य की स्थिति पैदा होगी तो गृह युद्ध छिड़ जाने की आशंका बढ़ जाएगी।

इराक़ और लेबनान दोनों ही जगहों पर जो प्रदर्शन हुए हैं वह जनता की मांगों को पारदर्शिता से पेश करने वाले प्रदर्शन हैं। प्रदर्शनकारियों की सारी या अधिकतर मांगें पूरी करना ज़रूरी है। मांगें पूरी न हुईं तो राख के नीचे यह चिंगारी सुलगती रहेगी। इसलिए सावधानी बरतना ज़रूरी है।

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