सोनिया – राहुल के इलाके में बेशर्म एहसान फरामोशी! उफ गिरगिट? बेचारा करें क्या….

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चरण वंदना करने वाली नजरें अब बरसायेंगी शोले ।

अभी भी पीस पार्टी, प्रसपा, आप जैसे दल है बाकी!

प्याज के छिलकों की तरह बदली निष्ठाए ।

जनचर्चा है गिरगिट तिलोई व रायबरेली में शर्म से दुखी?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

लखनऊ। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की रायबरेली हो या फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी यहां तो बेशर्म एहसान- फरामोशी इस कदर नजर आई कि बेचारा रंग बदलने वाला गिरगिट भी शरमा कर रह गया। उपरोक्त दोनों नेताओं के सामने अब वह नजरें शोले बरसाएंगी जो कल तक उनका चरण चुंबन किया करती थी। जन चर्चा में लोग कहते हैं भैया गिरगिट बहुत दुखी है ।वह कहता है कि रंग बदलने में पीछे रह गया ।अब मैं तिलोई हो या रायबरेली यहां नहीं रहने वाला????

देश में अमेठी एवं रायबरेली संसदीय सीट को कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा मुफीद माना जाता है। रायबरेली से श्रीमती सोनिया गांधी तो अमेठी से राहुल गांधी सांसद होते रहे हैं। आज यहां एक अवसरवादी दिग्गज भाजपाई हो गए। तो दूसरी ओर कुछ समय पूर्व भाजपाई बने दूसरे दिग्गज सोनिया गांधी के सामने सत्ताधारी दल के प्रत्याशी हो गये। जैसे ही यह खबर उपरोक्त दोनों संसदीय क्षेत्रों में आम हुई अलग-अलग तरह के विचार आने प्रारंभ हो गए। जहां उपरोक्त दिग्गजों के समर्थकों ने इसका स्वागत किया। वहीं जो आम रायबरेली अथवा तिलोई अमेठी वासी था उसने इसे अवसरवादिता को घृणित घटना करार दिया ।सनद हो कि भाजपा को पानी पी पीकर गाली देने वाले एक दिग्गज कांग्रेस की कृपा पर दूसरी बार विधानसभा में पहुंचे थे ।ख़ैर जनता के मुताबिक साइकिल से उतर कर पंजा थामने वाले यह महोदय दल बदलने में इतने माहिर थे कि बेचारा हाथी भी आज उदास होकर रह गया। इधर काफी दिनों से दल बदलने की छटपटाहट खुजलाहट पैदा किए हुए थी। सो जाते तो जाते कहां। सामने था भगवा समुंदर। जुगाड़ सेट हुआ और फिर यह महोदय आज भाजपाई हो गए। बेचारे तिलोई क्षेत्र के भाजपाई जो अब तक इन महोदय को फूटी आंखों नहीं देखते थे अब वही इन्हें भाजपा के बड़े-बड़े मंचों पर देखेंगे और उनका अभिवादन भी करेंगे? वैसे कई भाजपाइयों को रास नहीं आया है यह ।ऐसे भाजपाइयों का कहना था की भाजपा का खरा व्यक्ति ही भाजपाई मंच पर नजर आना चाहिए। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले नेता सत्ता स्वार्थ के लिए दल में चले आते हैं और बाद में भाग जाते हैं। यही आगे भी होगा इसी की गुंजाइश है??

कई दलों में भजन करने वाले यह दिग्गज एक जमाने में सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी जिंदाबाद क्या करते थे। अपने आपको पक्का वाला कांग्रेसी बताया करते थे ।लेकिन अब अब उसी कांग्रेस के खिलाफ उठ खड़े होंगे जिसने उन्हें सम्मान दिया था। वैसे कांग्रेस की भी गलती थी उसे सोचना चाहिए था जिसे साइकिल ना अच्छी लगी पंजे का विश्वासपात्र कैसे हो सकता है!
यह तो थी राहुल गांधी की अमेठी की बात ।अब लगे हाथ बात करते हैं सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की? श्रीमती गांधी के रायबरेली क्षेत्र में एकाएक एक ऐसे दिग्गज का उदय हुआ जो पार्टी बदलने में तिलोई वाले महोदय को टक्कर देते नजर आते हैं! जन चर्चा के मुताबिक वह भी बसपा एवं सपा तथा कांग्रेस में होते हुए अभी कुछ दिन पहले भाजपा में पहुंचे हैं। कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश के उच्च सदन में पहुंचा दिया। यही गलती हो गई? कांग्रेस ने अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया। कांग्रेस के महारथियों को सोचना चाहिए था कि जो पहले किसी का नहीं हुआ वह आज उनका कैसे होगा।
राजनीति की बेशर्म एहसान फरामोशी का मंजर तो देखिए !जो आंखें अथवा नजरें कल तक सोनिया गांधी का चरण चुंबन करती थी ।आज वही आंखें और नजरें उन पर शोले बरसाती नजर आएंगी! रायबरेली और अमेठी की जनता यह दृश्य भी देखेगी। कुछ लोगों का कहना है कि दलबदलू तथा भितरघातियों को सभी दलों के राष्ट्रीय नेता ही महत्व देते हैं ?क्योंकि बड़े नेताओं को अपनी कुर्सी दिखाई देती है। उन्हें टिकाऊ नहीं दिखाई देता ।वह बिकाऊ को आश्रय देकर सब कुछ बहुत जल्दी प्राप्त कर लेना चाहते हैं।जबकि अवसरवादी लोग दल की वैचारिक प्रतिबद्धता को पल भर में अपने स्वार्थ के लिए चबा डालते हैं। कुछ लोगों ने चर्चा के दौरान बात करने पर कहा …भैया महान है उपरोक्त महानुभाव !सियासत में इस तरह से रंग दर रंग बदले कि बेचारा गिरगिट भी शरमा कर दुखी हो गया है? एक आवाज आई …अब तो गिरगिट कहता है कि रायबरेली व तिलोई में नहीं रहना! क्योंकि यहां के कई सियासी नेता रंग बदलने में उसे पीछे छोड़ चुके हैं?? चर्चा बढ़ी तो कुछ लोगों ने यह भी कहा डाला ….सारी पार्टियां हो गई अब केवल शिवपाल यादव जी वाली प्रसपा बची है, आम आदमी पार्टी बची है, पीस पार्टी बची है,और भी दल है जहां आगे यह लोग जा सकते हैं !!एक सज्जन ने कहा जिन को शर्म ना हो, वह कहीं भी जा सकते हैं और कहीं से भी लौट कर आ सकते हैं !स्वाभिमान की बात राजनीति में शोभा नहीं देती? कुल मिलाकर सोनिया गांधी एवं राहुल के इलाके में बेशर्म एहसानफ़रामोशी की सियासत के आगे बेचारा रंग बदलने वाला गिरगिट भी पानी मांग गया है। इसका जवाब तो आने वाले चुनाव में यहां के मतदाताओं को ही देना है। अभी तो नवागत भाजपाइयों के साथ पुराने समर्पित ईमानदार भाजपाई मजबूरी में ही सही बदली स्थिति की खुशियां मनाने में व्यस्त है????

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